Ranchi : जापान के भाषाविद प्रो डॉ तोसीकी ओसादा ने कहा कि आज शहरीकण के प्रभाव से मुंडारी भाषा के कुछ शब्द लुप्त हो रहे हैं. भाषा बोलने वाले ठीक से उच्चारण नहीं कर पाते हैं. जैसे मुंडारी में जोअर से संबोधित करते हैं. मुंडारी में जोहार नहीं बोलते हैं. क्योंकि मुंडारी भाषा अल्पप्राण प्रधान है. अतंरराष्ट्रीय ध्वनि में ड़ के बदले रमण के आर अक्षर का प्रयोग होता है. वे रुम्बुल एवं टीआरएल के संयुक्त तत्वावधान में मुंडारी भाषा साहित्य विषय पर कार्यशाला में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि आज भाषा पर अंतरर्ष्ट्रीराय स्तर पर कई भाषाओं पर शोध हो रहा है.टोक्यो विश्वविद्यालय के भाषा विज्ञान के प्रोफेसर तोसीकी ओसादा पहले विदेशी हैं, जिन्होंने मुंडारी भाषा में रांची विश्वविद्यालय से पीएचडी किया है. वे डॉ रामदयाल के शिष्य रहे हैं.
कार्यशाला का दूसरा दिन
पूर्व निदेशक सोमा सिंह मुंडा की अध्यक्षता में बुधवार को कार्यशाला का दूसरा दिन था. इसमें विनोवा भावे विश्वविद्यालय के प्रो गणेश मुर्मू ने आज के संदर्भ में शोध प्रविधि के बारे में बताया. कहा कि न्यूरोलैंगुएज, लैंगुएज पैथोलॉजी के उच्चारण एवं ध्वनि विज्ञान के माध्यम से कई प्रकार की बीमारी से स्वास्थ्य हो सकते हैं. पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा के पीजी टीआरएल एवं अन्य संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर दस संस्था एवं अंतराराष्ट्रीय स्तर पर सात देशों में सयुंक्त रूप से भाषा पर कार्य शुरू हुआ है. राष्ट्रीय ज्योग्राफी चैनल अमेरिका द्वारा ध्वनि विज्ञान की योजना पर कार्य शुरू हुआ है. डॉ विरेन्द्र कुमार ने मुंडारी भाषा के भाषिक संरचना विषय से विचार रखे. मौके पर रांची विश्वविद्यालय के मुंडारी भाषा विभाग के एचओडी मनय मुंडा, जुरा होरो,सोमा सिंह मुंडा, गुंजल इकिर मुंडा, डॉ अजीत मुंडा, डॉ जुरन सिंह मानकी, डॉ शांति नाग, रेखा मुंडा, निशा मुंडा समेत सैकड़ों छात्र- छात्राए शामिल थे.
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