New Delhi : शनिवार को विश्व खाद्य दिवस मनाया जा रहा है. आज से दो दिन पहले विश्व हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट भी जारी की गयी है. इस रिपोर्ट में दिये आकंड़े तो चौंकाने वाले हैं ही, इससे भी चौकाने वाली बात आरटीआई के जरिये एफसीआई की ओर से दिये गये जवाब से सामने आयी है. मालूम हो कि देश में अनाज जमा करने और उसकी आपूर्ति करने वाली संस्था फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) है. एफसीआई की ओर से आरटीआई के जवाब में भेजी गयी दर्जनों चिठ्ठियों से इस बात का पता चला है कि हर रोज गोदाम और ट्रेन, ट्रक से ढुलाई के दौरान खराब और चोरी होने वाले सरकारी गेहूं-चावल की मात्रा से स्कूलों में मिड डे मील खाने वाले 30 लाख बच्चे अपना पेट भर सकते हैं.
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चारा बनाने वाली कंपनियों को बेच दिया जाता है
एफसीआई अफसरों के अनुसार खराब होने वाला यह वह अनाज है जिसे जारी नहीं किया जा सकता. ऐसे में कुछ अनाज जमीन में दबा दिया जाता है और जो थोड़ा बहुत ठीक होता है और बेचा जा सकता है उसे 15 से 20 पैसे किलो के भाव से पशुओं का चारा बनाने वाली कंपनियों को बेच दिया जाता है.
एक सामान्य इंसान को रोज 200 ग्राम अनाज की जरुरत होती है
मालूम हो कि एक सामान्य इंसान को हर रोज 200 ग्राम अनाज की जरूरत होती है, जबकि उम्र के हिसाब से स्कूलों में मिड डे मील के तहत प्राइमरी में पढ़ने वाले बच्चों को 100 ग्राम और जूनियर हाईस्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को 150 ग्राम अनाज हर रोज दिया जाता है. एक रिपोर्ट में एफसीआई के दिल्ली मुख्यालय की ओर से यह कहा गया है कि गोदामों में साल 2008-9 से 2017-18 तक 1.80 लाख मीट्रिक टन गेहूं-चावल खराब हुआ था. मतलब 16 मीट्रिक टन की क्षमता के अनुसार 11250 ट्रक अनाज खराब हो गया.