Lagatar Desk: माघ शुक्ल की पंचमी तिथि को विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की उपासना की जाती है. इस पर्व को वसंत पंचमी कहते हैं. वर्ष के कुछ विशेष शुभ काल में से एक होने के कारण इसको “अबूझ मुहूर्त”भी कहा जाता है. इसमें विवाह, निर्माण और अन्य शुभ कार्य किए जा सकते हैं.
ऋतुओं के इस संधिकाल में ज्ञान और विज्ञान दोनों का वरदान प्राप्त किया जा सकता है. इसके अलावा संगीत कला और आध्यात्म का आशीर्वाद भी इस काल में लिया जा सकता है. अगर कुंडली में विद्या बुद्धि का योग नहीं है या शिक्षा की बाधा का योग है तो इस दिन विशेष पूजा करके उसको ठीक किया जा सकता है. इस बार बसंत पंचमी 16 फरवरी को पड़ रही है.
इसे भी पढ़ें-लड़की ने डॉक्टर की चप्पल से कर दी धुनाई, रेप-छेड़छाड़ का लगाया आरोप
सरस्वती पूजा का शुभ मुहुर्त
बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा का शुभ मुहूर्त 16 फरवरी को सुबह 06 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक है.
ऐसे करें माता की पूजा
इस दिन पीले या सफेद वस्त्र धारण करें. काले या लाल वस्त्र न पहनें. इसके बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा की शुरुआत करें. यह पूजा सूर्योदय के बाद ढाई घंटे या सूर्यास्त के बाद के ढाई घंटे में करें. मां सरस्वती को श्वेत चन्दन और पीले और सफेद पुष्प अवश्य अर्पित करें. प्रसाद में मिसरी, दही और लावा समर्पित करें. मां सरस्वती के बीज मंत्र “ॐ ऐं नमः” या “ॐ सरस्वत्यै नमः” का जाप करें. मंत्र जाप से पहले प्रसाद ग्रहण न करें. किसी को अपशब्द न कहें और पेड़-पौधों को नुकसान न पहुंचाए.
इसे भी देखें-