Shivendra Nath Tiwari
Ranchi : हजारों लोग ऐसे हैं जो क्रिकेट का मतलब महेंद्र सिंह धौनी ही समझते हैं. इस बात का पता मुझे जेएससीए स्टेडियम में भारत और न्यूजीलैंड के बीच 26 अक्टूबर 2016 को खेले गये एक दिनी मैच के दौरान चला. झारखंड के युवाओं के लिये धौनी क्रिकेट के प्रेरणा स्रोत और पर्याय रहे हैं. उन्होंने सिर्फ झारखंड ही नहीं बल्कि विश्व क्रिकेट जगत को अपने खेल कौशल से वह ऊंचाई दी, जो हम सभी के लिये गर्व की बात है. यही वजह है कि क्रिकेट के खेल को न समझने वाले के सामने भी अगर क्रिकेट का जिक्र हो तो उनके मुंह से निकल ही आता है, अच्छा आप धौनी वाले खेल की बात कर रहे हैं. इसलिये सहज ही धौनी के क्रेज को समझा जा सकता है. लंबे समय से मुझमें भी महेंद्र सिंह धौनी को लाइव खेलते हुए देखने की इच्छा प्रबल थी. यह चाहत न्यूजीलैंड वाले मैच में ही पूरी हुई.
मैच के एक दिन पहले मुझे एक परिजन ने मैच के पास दिया. अब मैंने टिकट पा लिया तो एक बड़ी उम्मीद के साथ स्टेडियम जाने के बारे में सोचने लगा. स्टेडियम में मैच देखने का यह मेरा पहला अनुभव था. ऐसा लगा, जैसे मैं अपने टेलीविजन के अंदर बैठा हूं, जिस पर मैंने पहले भी बहुत मैच देखे थे. उस दिन क्रिकेट प्रेमियों का स्टेडियम के बाहर जमावड़ा लगा था. वे प्रवेश करने के लिए उतावले थे. स्टेडियम में लंबी कतारों के साथ दो अलग-अलग प्रवेश द्वार थे. हम भी उत्साहित थे. हमने भी भारतीय टीम की जर्सी पहन रखी थी और गर्व से चेहरे पर तिरंगा बनवा रखा था. स्टेडियम में प्रवेश किया. अंदर अपने निर्धारित सीटों पर बैठकर हमने कुछ तस्वीरें लीं. यह पल मुझे बेहद खुशी दे रहा था.
जैसे ही खिलाड़ियों ने अभ्यास शुरू किया, स्टेडियम जीवंत हो उठा. लोग अपने पसंदीदा खिलाड़ी का नाम पुकार रहे थे. सबसे मजेदार बात यह थी कि मुझे नॉर्थ पवेलियन का पास मिला था. खिलाड़ी ड्रेसिंग रूम से निकलकर हमारी सीट के बेहद करीब से मैदान में प्रवेश रहे थे. मुझे उनकी नजदीकी झलक मिल रही थी. टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी करने उतरी न्यूजीलैंड की शुरुआत शानदार रही. इस मैच में एक अद्भुत घटना का साक्षी मुझे धौनी के क्रिकेट विधा ने बना दिया. दरअसल न्यूजीलैंड की पारी के 46वें ओवर में रॉस टेलर 34 रन बनाकर खेल रहे थे और उन्होंने उमेश यादव के ओवर की तीसरी गेंद को फाइन लेग की तरफ फ्लिक कर दिया था. पहला रन लेने के बाद दूसरा रन लेने के लिए भागे, पर बाउंड्री पर खड़े धवल कुलकर्णी ने काफी अच्छी फील्डिंग की और विकेट की ओर सीधे थ्रो कर दिया. उस समय कोई नहीं सोच सकता था कि टेलर रन आउट हो जायेंगे. पर संयोग देखिये. कीपिंग कर रहे धौनी ने अपने चिर-परिचित अंदाज में गेंद को बिना स्टंप्स की तरफ देखे दिशा दे दी और गेंद स्टंप्स में जा लगी. उस समय टेलर क्रीज से बाहर थे. आम तौर पर विकेट कीपर गेंद को सही तरह से पकड़ कर स्टंप्स पर मारते हैं, लेकिन धोनी हमेशा अपने अलग और अद्भुत अंदाज के लिए जाने जाते रहे हैं. इस रन आउट ने मुझे धौनी का विराट फैन बना लिया. अपने हीरो को अपने सामने खेलते हुए देखने के अनुभव और खुशी को शब्दों में बयां नहीं कर सकता. इसलिए तो मेरे लिए क्रिकेट का मतलब धौनी है.
स्टेडियम में माही और धौनी की गूंज उठ रही थी, जिसमें हर कोई लीजेंड ऑफ ग्राउंड को निहार रहा था और कोरस के तौर पर धौनी का नाम गूंज रहा था. धौनी के इस अंदाज की चर्चा आज भी होती है. मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि मैंने इस रोमांचक को लाइव देखा था. अब मुझे समझ आ रहा था कि क्यों बच्चों से लेकर वयस्क तक सभी क्रिकेट के दीवाने हैं, क्यों जगमगाते स्टेडियम से लेकर झोपड़ी के अंदर चलते टीवी तक लोग अपने मनपसंद खिलाड़ियों को खेलते देखने को उत्सुक रहते हैं. हालांकि मुझे सबसे ज्यादा इंतजार धौनी की बल्लेबाजी का था.
दूसरी पारी में 261 रनों के लक्ष्य का पीछा करने टीम इंडिया मैदान में उतरी. मुझे धौनी को खेलते हुए देखने की जल्दी थी, साथ ही बड़े स्कोर का पीछा कर भारतीय टीम को जीतते हुए भी देखना था. ऐसे में एक अजीब स्थिति बन गयी थी. भारतीय बल्लेबाजों के आउट होने पर निराशा भी हो रही थी और यह भी लग रहा था कि धौनी जल्दी आयेंगे और मैं उन्हें लाइव खेलते हुए देख पाऊंगा. टीम इंडिया को 19 रन पर रोहित शर्मा के रूप में पहला झटका लगा. इसके बाद विराट के पवेलियन लौटने पर आखिरकार धौनी पिच पर आये. ये अभूतपूर्व एहसास था. 7 नंबर की जर्सी आंखों के सामने थी. हालांकि धौनी भी ज्यादा देर विकेट पर टिक नहीं पाए, वह आउट हो गए. मैंने उन्हें खेलते देखा, मुझे तसल्ली हो गई. वह आउट हुए और मैं स्टेडियम से निकल पड़ा. खट्टे-मीठे अनुभव के साथ घर की ओर चल पड़ा. खुश था कि मैंने अपने हीरो का खेल लाइव देखा.