Lucknow : उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित डासना देवी मंदिर के महंत और जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने गुरुवार को चौंकाने वाला ऐलान किया. उन्होंने सार्वजानिक जीवन से संन्यास लेते हुए पूरी तरह अपना जीवन धार्मिक कार्यों में लगाने की बात कही है. उन्होंने इस्लामी जिहाद के खिलाफ अपनी लड़ाई और धर्म संसद के आयोजन से अपने आप को अलग करने का भी ऐलान किया है.
त्यागी पर कार्रवाई के लिए खुद को दोषी बताया
जितेंद्र नारायण त्यागी (पूर्व नाम वसीम रिज़वी) पर हुई कार्रवाई के लिए भी यति नरसिंहानंद ने खुद को दोषी बताया है. एक वीडियो जारी करते हुए यति नरसिंहानंद ने कहा है कि, ‘हम सभी जितेंद्र नारायण त्यागी को जेल में लेने के लिए आए थे. उनकी रिहाई हो चुकी है. वे हमसे मिलने से पहले ही चले गए हैं. उनसे हमारा यहीं तक का साथ था. उनके साथ हमारे सुखद या दुखद अनुभव का पूर्णतया दोषी मैं हूं. उनकी कोई गलती नहीं है. उन्होंने केवल सच बोला. मेरी कमजोरी के कारण उन्हें 4 माह से अधिक समय तक जेल में रहना पड़ा. इसके लिए मैं उनसे क्षमाप्रार्थी हूं.’
बचा हुआ जीवन मां और महादेव के लिए
उन्होंने कहा कि, ‘मैं हिंदू समाज से कहना चाहता हूं कि मैंने अपना जीवन जितना भी था, उसे इस्लाम के जिहाद से लड़ने में बिताया. मगर, अब बचा हुआ जीवन मैं मां और महादेव के यज्ञ के साथ योगेश्वर की गीता के प्रचार-प्रसार में लगाने की इच्छा रखता हूं. मैं अब तक खुद से हुई गलतियों के लिए माफी मांगता हूं. आज के बाद मैं सार्वजानिक जीवन में नहीं हूं. मेरे जीवन में अब नया अध्याय सिर्फ एक धार्मिक व्यक्ति के रूप में शुरू होता है.’
हिंदू समाज ने हमारा साथ नहीं दिया
रिपोर्ट्स के अनुसार, यति नरसिंहानंद ने यह फैसला हिंदू समाज की उदासीनता को देखते हुए लिया है. उन्होंने कहा कि, ‘वर्ष 2012 से मैंने देवबंद के इस्लामी जिहाद के खिलाफ धर्म संसद आरंभ की थी. किन्तु वो आज ख़त्म हो रही. धर्म संसद में जेल गए साथियों के लिए संघर्ष में हिंदू समाज ने हमारा साथ नहीं दिया. हिंदू समाज के योद्धाओं की दुर्गति हो रही है.’
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