Girish Malviya
सरकार का काम होना चाहिए महंगाई की चक्की के बीच पिसती हुई जनता को राहत देना. लेकिन मोदी सरकार दिन ब दिन पूरी शिद्दत से जनता को त्रास देने मे जुटी हुई है. गैस सिलेंडर के दाम पिछले 9 महीनों में पौने दो सौ रुपये बढ़ाये गये हैं. यहां सरकार चाहती तो इस अनावश्यक मूल्य वृद्धि के बोझ को जनता से हटा सकती थी. क्योंकि कल खबर आयी है कि एक ही साल में सरकार द्वारा दी जा रही गैस सब्सिडी में 6 गुना कमी कर दी गयी.
एक साल में सब्सिडी में 6 गुना कटौती
गैस सब्सिडी की राशि जहां वर्ष 2019-2020 में 24,468 करोड़ रुपए थी, वही वित्तीय वर्ष 2020-2021 के दौरान सरकार ने केवल 3,559 करोड़ रुपए ही सब्सिडी के रूप में उपभोक्ताओं को दिये. मात्र एक साल में सब्सिडी में लगभग 6 गुना कटौती की गयी है. इसी वजह से पिछले एक साल मे जनता पर रसोई गैस की कीमतों का बेतहाशा बोझ बढ़ा है. सिर्फ यही नहीं ठीक ऐसा ही पेट्रोल डीज़ल की कीमतों के संदर्भ में भी देखा गया है. वर्ष 2019-20 के औसतन 60.47 डॉलर प्रति बैरल के मुकाबले वर्ष 2020-2021 में उससे 15.55 डॉलर कम दाम पर क्रूड खरीदा गया. इसके बावजूद पिछले एक वर्ष के दौरान पेट्रोल करीब 21 रुपये प्रति लीटर और डीजल लगभग 29 रुपये प्रति लीटर महंगा किया गया.
पेट्रोलियम पदार्थों से मोदी सरकार ने 4,13,735.60 करोड़ कमाये
आरटीआई से मिले ब्योरे के मुताबिक वर्ष 2019-20 में पेट्रोलियम पदार्थों पर टैक्स से होने वाली कुल आय 2,88,313.72 रुपये थी, जबकि वर्ष 2020-21 में पेट्रोलियम पदार्थों से मोदी सरकार ने 4,13,735.60 करोड़ रुपये कमाये हैं. और यह सब हुआ है उस दौर में जब गरीब और मध्यम वर्ग की कमर कोरोना महामारी ओर लॉकडाउन ने पूरी तरह से तोड़ डाली थी.
साफ दिख रहा है कि सरकार जनता को राहत देने के बजाए उसके खून का आखिरी कतरा भी चूसने में लगी हुई है. मीडिया को उन्होंने अपने चंगुल में ले ही लिया है, जो ऐसे फैक्ट न दिखाकर दिन रात हिन्दू मुस्लिम चलाता रहता है. ताकि ऐसी सच्चाई को दबाया जा सके.
डिस्क्लेमरः ये लेखक के अपने विचार हैं.