- एप्पल और क्रोम यूजर्स के लिए भारत सरकार ने जारी की चेतवानी
Prem Anand
Ranchi : अगर आप गूगल क्रोम ब्राउजर या एप्पल डिवाइज का इस्तेमाल करते हैं तो अलर्ट हो जायें. आपका डाटा हैक हो सकता है. भारत सरकार की ओर से ऐसे यूजर्स के लिए साइबर सुरक्षा से संबंधित वेबसाइट सर्ट इन पर एक चेतावनी जारी की गयी है. भारतीय कंप्यूटर आपात प्रतिक्रिया दल, इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ऐसे यूजर्स से सिस्टम अपडेट करने की अपील की है. सरकार ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट सर्ट इन पर कई कमियों के बारे में चेतावनी दी है. इन खामियों को नजरअंदाज करने पर हैकर्स एप्पल डिवाइसेज को हैक कर यूजर्स का डाटा चुरा सकते हैं. (पढ़ें, ‘हरित क्रांति’ के जनक एम एस स्वामीनाथन का निधन, पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि)
इस तरह हैकर्स को मिलता है यूजर के कंप्यूटर का एक्सेस
सर्ट के अनुसार, गूगल क्रोम के कुछ वर्जन में भी बहुत सारी खामियां पायी गयी हैं, जो हैकर्स के मालवेयर कोड को एक्जिक्यूट होने देते हैं. ये कोड क्रोम के सिक्योरिटी रेस्ट्रिक्शंस को आसानी से बाईपास कर जाते हैं, जिससे हैकर्स को यूजर के कंप्यूटर का एक्सेस मिल जाता है. सर्ट इन ने अपने नोट में कहा है कि एप्पल का सफारी और अन्य ब्राउजर्स द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले वेबकीट ब्राउजर इंजन में सुरक्षा संबंधी कई खामियां हैं. हैकर्स इनके जरिये यूजर्स को मालवेयर रहित वेबसाइट्स पर रीडायरेक्ट करते हैं. फिर मैलिशस लिंक्स के जरिये हैकर्स को यूजर्स की डिवाइस का एक्सेस मिल जाता है.
इसे भी पढ़ें : नीतीश से मिलने अचानक सीएम आवास पहुंचे लालू यादव, सीट शेयरिंग पर चर्चा!
एप्पल की इन डिवाइसेज को लेकर है खतरा
- 12.7 से पहले के मैकओएस मोट्रेरी वर्जन
- 13.6 से पहले के मैकओएस वर्जन
- 9.6.3 से पहले के एप्पल वॉचओएस वर्जन
- 10.0.1 से पहले के एप्पल वाचओएस वर्जन
- एप्पल आईओएस वर्जन 16.7 से पहले और आईपैड ओएस वर्जन 16.7 से पहले
- 17.0.1 से पहले के एप्पल आईओएस वर्जन और 17.0.1 से पहले के आईपैड ओएस वर्जन
- 16.6.1 से पहले के एप्पल सफारी वर्जन
गूगल क्रोम ब्राउजर के इन वर्जन से है खतरा
- गूगल क्रोम 116.0.5845.188 के पहले के वर्जन (मैक और लिनक्स)
- गूगल क्रोम 116.0.5845.187 के पहले के वर्जन (विंडोज)
- गूगल क्रोम 116.0.5938.62 के पहले के वर्जन (मैक और लिनक्स)
- गूगल क्रोम 116.0.5938.62/63 के पहले के वर्जन (विंडोज)
ऐसे करें सुरक्षा
एप्पल के लिंक जो सर्ट इन के आधिकारिक वेबसाइट cert-in.org.in पर इस समस्या को ठीक करने के लिए आवश्यक अपग्रेड दिये हैं. इसके अलावा यूजर्स हमेशा अपनी डिवाइस को अप टू डेट रखें. अगर आपने ऐसा नहीं किया तो एप्पल वॉच, टीवी, आईफोन और मैकबुक के सॉफ्टवेयर को अपडेट नहीं किया तो आपकी डिवाइसेज पर खतरा बना रहेगा. वहीं, गूगल क्रोम को लेकर भी सर्ट इन ने अपनी वेबसाइट पर गूगल क्रोम के रेफरेंस लिंक दिये हैं, जहां जाकर आप गूगल क्रोम को अपडेट कर या दिये गये इंस्ट्रक्शंस को फॉलो कर उन खतरों से बच सकते हैं.
क्या है सर्ट इन
सर्ट इन भारत सरकार का एक सूचना प्रद्योगिकी सुरक्षा संगठन है. इसका गठन वर्ष 2004 में भारतीय सूचना एवं प्रद्यौगिकी विभाग द्वारा किया गया था. यह संस्थान भारत में इस्तेमाल हो रहे सभी सॉफ्टवेयर पर कड़ी नजर रखता है. यह यूजर्स को किसी भी सॉफ्टवेयर में पाये गये मालवेयर की चेतावनी जारी करता है. साथ ही उससे सुरक्षा के उपाय भी बताता है. यह देशभर में आईटी से संबंधित सुरक्षा के कार्यों को बढ़ावा देता है.
इसे भी पढ़ें : जैप ट्रेनिंग सेंटर में लाखों की वसूली मामला: पुलिस मेंस एसोसिएशन ने DGP को पत्र लिख कहा – पुलिसकर्मी के इलाज का था पैसा