Saurav Singh
Ranchi : झारखंड से हर महीने 41 लोग लापता हो रहे हैं. पिछले 11 महीने यानी जनवरी 2020 से लेकर नवंबर 2020 तक झारखंड के अलग-अलग जिलों से 451 लोग लापता हुए हैं. झारखंड पुलिस के अनुसार, झारखंड में दो रेल जिला मिलाकर कुल 26 जिला है. इन 26 जिलों से 451 लोग लापता हुए हैं.रांची जिला से इस दौरान सबसे अधिक 122 लोग लापता हुए हैं. जबकि लोहरदगा जिला से सबसे कम एक व्यक्ति लापता है.
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451 लोग हुए लापता
झारखंड के अलग-अलग जिले से 451 लोग लापता हुए हैं. जिसमें सिमडेगा से 14, पलामू से 14, सरायकेला से 18 ,गिरिडीह से 23, हजारीबाग से 16, देवघर से 21, साहिबगंज से 18 ,जमशेदपुर से 47 ,धनबाद से 32, कोडरमा से 16 ,रामगढ़ से 12, रांची से 122 लोग लापता हैं. जबकि गुमला से 7, लोहरदगा से 4, गढ़वा से 12, चतरा से 11 पाकुड़ से 5, गोड्डा से 7, चाईबासा से 16, बोकारो से 17, दुमका से 2, खूंटी से 06, लातेहार से 03, जामताड़ा से 2, रेल जमशेदपुर से 6 और रेल धनबाद से 3 लोग लापता हुए हैं.
घर से लोगों के लापता होने के मामले लगातार बढ़ रहे
घर से लोगों के लापता होने के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. झारखंड पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, राज्य से रोजाना औसतन 2 लोग लापता हो रहे हैं. इनमें महिलाओं व बालिकाओं की संख्या अधिक है. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, राज्य के सभी थाना क्षेत्रों में इस साल 1 जनवरी से 2020 से 31 नवंबर 2020 तक की अवधि में 451 लोगों के लापता होने के मामले सामने आये. लापता होने वाले लोगों में से पुलिस आधे को भी तलाश नहीं कर पाती है.
मानव तस्करों के निशाने पर ज्यादातर नाबालिग बच्चियां
झारखंड से गायब बच्चे देश के बड़े शहरों में फंसे हैं. अनेक तो कारखानों में कैद होकर बंधुआ मजदूरी कर रहे हैं. कई बच्चियां घरेलू काम में लगा दी गयी हैं. कई गलत धंधों में भी ढकेल दी गयी हैं. ज्यादातर बेटियों को नौकरी लगाने का झांसा देकर मानव तस्कर बड़े शहरों में ले जाते हैं, और वहां उसका सौदा कर देते हैं.
बेहद पिछड़े और सुदूर जंगलों में बसे गांवों की युवतियों और बच्चों की तस्करी करने के कई मामलों की प्राथमिकी तक दर्ज नहीं हो पाती है. क्योंकि लोग अशिक्षित हैं और जागरूकता का अभाव है. मानव तस्करों के निशाने पर ज्यादातर नाबालिग बच्चियां होती हैं.
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