Rajnish Prasad
Ranchi : झारखंड के 8 विश्वविद्यालयों के 800 अनुबंध सहायक प्रध्यापक गुरुवार से हड़ताल पर जायेंगे. राजभवन के पास धरना देंगे. झारखंड सहायक प्रध्यापक (अनुबंध) संघ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह जानकारी दी. 30 सितंबर को इनकी संविदा समाप्त हो रही है. इनकी मुख्य मांग है कि इनकी संविदा अवधि बढ़ायी जाए. मानदेय निर्धारित किया जाए. इससे पहले भी 2019 में धरना दिया गया था. उस वक्त के नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन के अश्वासन के बाद धरना समाप्त किया गया था. 2021 में भी सत्याग्रह किया गया था. उस वक्त तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के अश्वासन के बाद सत्याग्रह समाप्त किया गया था.
क्या है मामला
2018 में योग्यता के आधार पर घंटी आधारित सहायक प्रध्यापकों की बहाली हुई थी. इसके लिए कुलपति की अध्यक्षता में कमेटी बनी थी. इसमें विश्वविद्यालय के बाहर के विषेशज्ञ भी शामिल थे. इनकी कार्यावधि 31 मार्च 2022 को समाप्त होने वाली थी, जिसे बढ़ा कर 30 सितंबर 2022 कर दिया गया था.
क्या हैं इनकी मांगें
1. उच्च शिक्षा विभाग, झारखंड सरकार की संकल्प संख्या 04 / वि०-1-135/2016-516, दिनांक 02.03.2017 के आधार पर नियुक्त घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों के रैगुलराइजेशन हेतु नियमावली बनायी जाए.
2. मानदेय यूजीसी रेगुलेशन के अनुसार न्यूनतम ग्रेड पे / ग्रॉस सैलरी तब तक प्रदान की जाये, जब तक रेगुलराइजेशन के लिए नियमावली नहीं बन जाती.
3. टर्मोनेट/डिसकंटीन्यू किये गए घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों की सेवा को बरकरार रखा जाये.
4. असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति नियमावली 2021, यूजीसी रेगुलेशन 2018] (तालिका संख्या-3) में असिस्टेंट प्रोफेसर पद हेतु देय अंक तथा पीएचडी, अनुभव और प्रकाशन पर दिया हुआ अंक को रखते हुए राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों से पीएचडी उपाधि लेने वाले और शैक्षणिक कार्य में संलिप्त अभ्यर्थियों को प्राथमिकता व वरीयता दी जाए.
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1701 पद हैं रिक्त
झारखंड में 4566 पद सहायक प्राध्यापक के लिए स्वीकृत हैं. इनमें 3064 पद रिक्त हैं. 2018 में झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा दो बार नियुक्ति की गयी. पहली बार 552 और दूसरी बार 566 पद के लिए जो प्रक्रियाधीन है. इसके बावजूद 1701 स्वीकृत पद रिक्त पड़े हैं.
किसने क्या कहा
डॉ. अराधना तिवारी
रांची विश्वविद्यालय में अनुबंध पर कार्यरत डॉ. अराधना तिवारी ने कहा कि इससे पहले हमलोग 2019 में भी धरना पर बैठे थे. उस वक्त हमलोगों को हेमंत सोरेन अश्वासन देने आए थे, तब हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री नहीं थे. लेकिन मुख्यमंत्री बनते ही वह अपना वादा भूल गए. अपना वादा जल्द पूरा करें. हमारे लिए एक नियमावली बनाएं और हमें सम्मान दें.
डॉ. निवेदिता मुनमुन
रांची विश्वविद्यालय में अनुबंध में कार्यरत डॉ. निवेदिता मुनमुन ने कहा कि उच्च शिक्षा पर अनुबंध में कार्यरत सहायक प्राध्यापकों का मानदेय सम्मानजनक नहीं है. सरकार मानदेय के लिए एक नियमावली बनाये. झारखंड में अनुबंध शिक्षकों के साथ भेदभाव करना बंद करे. परीक्षा कार्य में हमें 70 रुपये दिया जाता है. आज के समय में 70 रुपये में क्या होता है.
माधुरी कुमारी दास
रामलखन सिंह यादव कॉलेज की अनुबंध सहायक प्राध्यापिका माधुरी कुमारी दास ने कहा कि अन्य राज्यों में शिक्षक और छात्र का अनुपात 1:25 है, जबकि झारखंड में 1:60 का है. हमारे लिए भी नियमावली बने और हमलोगों का मानदेय निश्चित किया जाये.
सुनिता कुमारी उरांव
केसीबी कॉलेज बेड़ो की अनुबंध सहायक प्राध्यापिका ने कहा कि हमलोगों का पांच साल होने वाला है अब हमलोगों को निकाल दिया जाएगा, तो हम कहां जायेंगे. हमारे भी बाल -बच्चे हैं. हमलोग के लिए नियमावली बनायी जाए और फिक्स सैलेरी दी जाये. घंटी आधारित कक्षा में कभी- कभी घर चलाना भी मुश्किल हो जाता है.
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