Ranchi: केंद्रीय सरना संघर्ष समिति की अध्यक्षता में शनिवार को कांके रोड स्थित डैम पार्क के प्रधान कार्यालय में एक बैठक हुई. बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय अध्यक्ष शिवा कच्छप ने कहा कि 23 से 24 फरवरी 2025 को सरना धर्मकोड की मांग को लेकर विभिन्न राज्यों के आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधि दिल्ली जाएंगे. वहां जंतर मंतर के पास सत्याग्रह एवं धरना शुरू किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि झारखंड में आदिवासियों की आबादी 27 प्रतिशत है, जो राज्य की सबसे बड़ी जनसंख्या है. एशिया महादेश में आदिवासियों की जनसंख्या चौथे स्थान पर है.
इसके बावजूद आदिवासी हिंदू, ईसाई, जैन, बौद्ध और मुस्लिम के धर्मों में शामिल किए जाते हैं. झारखंड में 32 जनजातीय समुदाय रहते हैं, जिनमें मुंडारी, संथाली, उरांव, हो आदि शामिल हैं. इन सभी की अपनी भाषा, वेशभूषा, परंपरा और संस्कृति है, लेकिन इनका कोई अलग धर्मकोड नहीं है. आदिवासी समुदाय अपनी पहचान और धर्म को संरक्षित करने के लिए संघर्ष कर रहा है.
सरना धर्म के अगुवा कोईली उरांव ने कहा कि दिल्ली में भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और जनजातीय मामलों के मंत्री को एक ज्ञापन सौंपा जाएगा.
बैठक में संगीता गाड़ी, सती तिर्की, अनिता उरांव, बसंती कुजूर, मनोज उरांव, भानु उरांव, पार्वती टोप्पो, सीटीओ उरांव, शोभा तिर्की समेत अन्य आदिवासी नेताओं ने भाग लिया.
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