MumbaI : डोगरी कवयित्री और प्रसिद्ध साहित्यकार पद्मा सचदेव (81) का बुधवार सुबह 4.30 बजे मुंबई स्थित अपने आवास पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. यह जानकारी उनके छोटे भाई साहित्यकार ज्ञानेश्वर शर्मा ने दी. वह अपने पीछे पति शास्त्रीय गायक सुरेंद्र पाल सिंह सचदेव, बेटे तेजपाल सिंह सचदेव और बेटी मीता सचदेव को छोड़ गयी हैं.
उनका जन्म 17 अप्रैल 1940 जम्मू के गांव पुरमंडल में हुआ. उनके पिता पंडित जयदेव शर्मा हिन्दी, संस्कृत के प्रकांड पंडित थे. जम्मू में स्कूल के समय से ही कविता के क्षेत्र में विशेष पहचान बना ली थी. उसके बाद कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक कार्यक्रमों में डोगरी का प्रतिनिधित्व किया।उनके कई कविता संग्रह प्रकाशित हैं. किन्तु मेरी कविता मेरे गीत के लिए उन्हें 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मनित किया गया.
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2001 में पद्मश्री और वर्ष 2007-08 में कबीर सम्मान प्रदान किया गया
उन्हें वर्ष 2001 में पद्मश्री और वर्ष 2007-08 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कबीर सम्मान प्रदान किया गया. उनकी पहली शादी डोगरी के गजल सम्राट वेद पाल दीप से हुई लेकिन किन्हीं कारणों से वह ज्यादा देर साथ नहीं रह सके. वर्ष 1966 में सिंह बंधू नाम से प्रचलित सांगीतिक जोड़ी के गायक सुरिंद्र सिंह से हुई. पद्मा रेडियो कश्मीर जम्मू में स्टाफ आर्टिस्ट रही. बाद में दिल्ली रेडियो में डोगरी समाचार वाचिका की जिम्मेदारी भी निभाई. जम्मू कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी उन्हें सम्मानित किया.
जम्मू का शायद ही कोई साहि त्यिक या सांस्कृतिक संगठन ऐसा होगा जिसने उन्हें सम्मानित न किया हो. उनके निधन का समाचार सुनते ही जम्मू के साहित्य, कला जगत में शोक की लहर है. उनके लिखे डोगरी गीत लता मंगेश्कर ने भी गाये हैं. उन्हीं के कहने पर लता मंगेश्कर ने डोगरी के कुछ गीत गाये जो आज डोगरी की संस्कृति की पहचान हैं.