Ranchi: शहर के प्रतिष्ठित सेवा सदन अस्पताल को अगले 15 दिनों में तोड़ने के नगर आयुक्त के निर्देश पर डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय ने चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा है कि आज जिस तरह से पुराने भवनों को लगातार नोटिस दिया जा रहा है, उससे भय का माहौल हो गया है. निगम स्थित अपने कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय ने कहा कि सरकार को चाहिए कि पूर्व में बने सभी भवनों को तोड़ने से पहले ऐसे भवनों का नक्शा नियमित करने का प्रावधान किया जाये.
डिप्टी मेयर ने कहा एक अस्पताल जो पिछले 50 वर्षों से लोगों की सेवा कर रहा है, जिस अस्पताल ने लाखों लोगों की जिंदगी बचाई है, आज इसे तोड़ने का फरमान जारी किया गया है. यह फरमान पूरी तरह से अव्यावहारिक है. सेवा सदन अस्पताल के साथ-साथ वैसे भवन जिनका रेगुलराइजेशन नहीं हुआ है, वैसे भवनों को नियम संगत करने की प्रक्रिया जब तक पूरी ना हो, तब तक उसे हटाने की कार्रवाई सरकार ना करे.
बिल्डिंग बायलॉज नियम में ही थी कई तरह की जटिलता
संजीव विजयवर्गीय ने कहा कि 1980 के समय तक शहर में बनने वाले भवनों का नक्शा पास नहीं होता था. हालांकि ऐसे भवनों को नियमित करने का दो बार प्रयास भी किया गया. पहला प्रयास अर्जुन मुंडा सरकार के समय किया गया. लेकिन बिल्डिंग बाइलॉज का जो नियम बना, उनमें 845 नक्शा स्वीकृत करने के लिए आवेदन आए. जिसमें केवल 40 से 45 नक्शों को स्वीकृति मिली. फिर 2016-17 में नया भवन बायलॉज नियम लाया गया, लेकिन उसमें इतनी जटिलता थी कि केवल 300 लोगों ने ही इसमें इच्छा जाहिर की. इसी तरह शहर को बसाने का पहला मास्टर प्लान 1983 में बना. बाद में 2013 में दूसरा मास्टर प्लान बना. इतनी लंबी अवधि के कारण पुराने भवनों को रेगुलराइज नहीं किया जा सका है.
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आदेश से तो पूरा शहर ही उजड़ जाएगा
डिप्टी मेयर ने कहा कि एक भवन को नियमित करने का वर्तमान शुल्क 1000 प्रति वर्ग फीट है. क्या बिल्डिंग बायलॉज के तहत लोग इसे कर पाएंगे. उन्होंने कहा आज शहर में करीब 1.80 लाख भवन बने हैं, जो निगम को होल्डिंग टैक्स देते हैं. इसमें से 20 से 25 हजार भवनों का नक्शा पास किया गया है. ऐसे में बचे अवैध भवनों को तोड़ने का आदेश सरकार देती हैं, तो पूरी रांची उजड़ जाएगी.
सरकार नियमित करने की पहल करे, नहीं तो मजबूरन लोगों को सड़क पर उतरना पड़ेगा
विजयवर्गीय ने कहा कि एक तरफ देश के प्रधानमंत्री गरीबों और जिनका आवास नहीं है, उन्हें आवास देने का काम प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कर रहे हैं. वहीं रांची नगर निगम घरों को तोड़ने का काम कर रही है. यह एक चिंता का विषय है. उन्होंने झारखंड सरकार से इस विषय को संज्ञान लेते हुए तत्काल आदेश पर रोक लगाने की मांग की. साथ ही कहा कि जल्द से जल्द पुराने भवनों को सरकार रेगुलराइज करने का नियमावली बनाएं. अगर ऐसा नहीं होता है तो मजबूरन आम जनता को सड़क पर उतरने के लिए विवश होना पड़ेगा.
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