Kiriburu : गंभीर बीमारी से ग्रसित सेलकर्मी जो मेडिकल इनवैलिडेशन नीति के तहत अपनी नौकरी अपने आश्रित पुत्र को दे दिए हैं, वैसे बीमार सेलकर्मी का चिकित्सा खर्च सेल प्रबंधन द्वारा नहीं उठाये जाने से सेलकर्मियों में आक्रोश है. इस मामले को विभिन्न मजदूर संगठनों ने सेल प्रबंधन के उच्च अधिकारियों समेत पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोडा़, विधायक दीपक बिरुवा आदि के सामने भी रखकर इस समस्या के समाधान की मांग की है.
बेटे को दो साल बाद नहीं, पहले माह से ही स्थायी किया जाए
झारखंड माइंस मजदूर यूनियन के मजदूर नेता एनएन घटवारी और वीर सिंह मुंडा ने बताया की मेडिकल इनवैलिडेशन के बाद जिन सेलकर्मियों ने अपनी नौकरी अपने आश्रित या बेटे को दिया है उसके बाद सेल प्रबंधन द्वारा दो साल तक उनसे बतौर ट्रेनिज काफी कम पैसा पर कार्य कराया जाता है. इस दौरान बीमार सेलकर्मी व उसके परिवार को किसी भी प्रकार की चिकित्सा सुविधा दो वर्ष तक उपलब्ध नहीं कराई जाती है. इसके अलावे सेल आवास खाली नहीं करने पर पैसा भी रोककर रखा जाता है, जो न्यायपूर्ण नहीं है. हमारी मांग यह है कि जिस गंभीर बीमारी से त्रस्त होकर वह अपनी नौकरी बेटे को दिया है उस स्थिति में उक्त बीमार सेलकर्मी को बेहतर इलाज की सुविधा निरंतर सेल प्रबंधन जारी रखे, उसे पहले वाला आवास में ही रहने की सुविधा प्रदान करे तथा उसके बेटे या आश्रित को दो साल बाद के बजाए पहले माह से ही स्थायी सेलकर्मी के रूप में मान्यता व उसके अनुसार वेतन व तमाम सुविधाएं सेल प्रबंधन दे.