Ranchi : प्रमंडलीय आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी ने जमीन की जमाबंदी मामले में रांची डीसी छवि रंजन के आदेश को नियम विरूद्ध बताया है. मामले की जांच रिपोर्ट सरकार का भेजी गयी. रिपोर्ट में कहा गया कि रांची उपायुक्त छवि रंजन ने एक फर्जी पंचनामा के आधार पर 82 साल बाद 29.88 करोड़ की जमीन को 15.10 करोड़ में नियम के विरूद् जा कर जमाबंद का आदेश दिया हैं. जमीन खरीदने वाले के आवेदन पर 150 पुलिस जवानों और दंडाधिकारी को तैनात कर जमीन की बाउंड्री कराई गई.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि इन सभी तथ्यों को देखते हुये यह नतीजा निकाला जा सकता है कि जमीन के नये खरीदार रवि कुमार भाटिया, पिता जसवंत सिंह निवास स्थान 1/3 बरगोनिया टावर कांट्रैक्टर्स एरिया बिष्टुपुर, जमशेदपुर एवं श्याम सिंह, पिता राम बहादुर सिंह, निवास स्थल बैकस्ट्रीट गौशाला नाला रोड स्थित मोहल्ला जुगसलाई, जमशेदपुर द्वारा कराया गया. जिसके पक्ष में उपायुक्त छवि रंजन ने नियम को ताक में रख कर आदेश पारित कर दिया.
आयुक्त की जांच रिपोर्ट से लागातार न्यूज की खबर पर लगी मुहर
आयुक्त ने रिपोर्ट में कहा कि उपायुक्त के स्तर पर की गई यह कार्रवाई एक पक्ष को लाभान्वित करने जैसा है. उपायुक्त जांच के दौरान असहयोग रवैया रहा. इस संबंध में लगातार डॉट इन से सबसे पहले खबर प्रकाशित की थी. और उपायुक्त की जांच पर सवाल उठाया था. लगातार न्यूज उपायुक्त से इस मामले में उनका पक्ष भी मांगा था, लेकिन उन्होंने नहीं दिया.
क्या है रिपोर्ट में
आयुक्त की जांच रिपोर्ट में कहा गया कि विनोद की ओर से हेहल अंचल की जमीन का म्यूटेशन के लिए आवेदन दाखिल 2015—16 में किया गया. सीओ ने इसकी सुनवाई के बाद म्यूटेशन आवेदन को रद्द कर दिया. इसके लिए यह तर्क पेश किया गया था संबंधित जमीन पर आवेदन दखल कब्जा नहीं है. इसके बाद विनोद की ओर से सीओ के फैसले के खिलाफ डीसीएलआर के कोर्ट में अपील दायर की गई थी. डीसीएलआर ने रांची के रजिस्ट्रार से विनोद के नाम बने सेल डीड की सत्यापन का अनुरोध किया था. जिला अवर निबंधक में डीसीएलआर को भेजी रिपोर्ट में दस्तावेज से छेड़छाड़ होने की वजह से संबंधित सेल डीड को सही होने के बदले उसे संदेह था.
इसके बाद डीसीएलआर ने जिला अवर निबंधक के जवाब और अंचल अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर विनोद कुमार सिंह द्वारा दायर अपील खारिज कर दी थी. डीसीएलआर द्वारा अपील खारिज किए जाने के बाद विनोद कुमार सिंह ने उपायुक्त की अदालत में रिवीजन के लिए आवेदन दिया. रिवीजन पिटीशन की सुनवाई पहले तत्कालीन उपायुक्त राय महिमापत रे के कार्यकाल में हुआ था.24 जुलाई 2019 को तत्कालीन उपायुक्त सेल डीड को फर्जी होने के कारण विपक्षियों द्वारा प्राथमिक दर्ज कराए जाने का उल्लेख किया था.
तीन दर्जन से अधिक तरीख
इस पूरे मामले में 3 दर्जन से अधिक बार मामले के सुनवाई की तरीख रखी गई थी. लेकिन सुनवाई नहीं हो सका. वर्तमान उपायुक्त छवि रंजन ने 15 जनवरी 2021 को मामले की सुनवाई के दौरान हेहल अंचल अधिकारी से संबंधित जमीन के सिलसिले में रिपोर्ट मांगी. इसके बाद ही हेहल अंचलाधिकारी ने उपायुक्त के कोर्ट को एक पंचनामा भेजा.
13 मार्च 2016 की तिथि पर बने इस पंचनामा में इस बात का उल्लेख किया गया कि संबंधित जमीन पर विनोद कुमार सिंह का कब्जा है. पंचनामा किसके आदेश पर तैयार हुआ दस्तावेज में इसका कहीं कोई उल्लेख नहीं है. पंचनामा विनोद सिंह के पक्ष में बयान देने वालों के अंगूठे का निशान और नाम लिखा हुआ है. यह पंचनामा अंचल अधिकारी द्वारा म्यूटेशन आवेदन रद्द किए जाने के 2 साल बाद की तिथि में बनाया गया है. रिपोर्ट में कहा गया कि रिवीजन में किसी भी तरह का नये तथ्य पेश नहीं किया जा सकता है.
डीसी छवि रंजन ने फार्जी पंचनामा के आधार पर जमाबंदी खोलने का दिया आदेश
उपायुक्त ने इस पंचनामा को आधार बनाकर विनोद कुमार सिंह के नाम जमाबंदी खोलने का आदेश दिया. उपायुक्त द्वारा 25 फरवरी 2021 को दिए गए आदेशों के बाद विनोद सिंह ने मार्च 2021 में जमशेदपुर के श्याम सिंह और रवि भाटिया को जमीन बेच दी. इन दोनों व्यक्तियों ने 15 करोड़ 10 लाख में जमीन खरीदा. जबकि इस जमीन की सरकारी दर 29.88 करोड़ है.