Ranchi: बनहरदी कोल ब्लॉक ड्रिलिंग घोटाला नया नहीं है. इसका खुलासा 2019 में ही हो गया था और एसीबी जांच का प्रस्ताव भी भेजा गया था. इस घोटाला में संलिप्त पांच अधिकारियों के खिलाफ जांच की अनुसंशा एसीबी से की गयी थी. लेकिन मामले को दबाकर रखा गया था. इस घोटाले में तत्कालीन राज्य बिजली बोर्ड और भूतत्व खान विभाग दोनों के कुछ अधिकारी संदेह के घेरे में थे.
छह महीने दबी रही चिट्ठी
बनहरदी कोल ब्लॉक फर्जी कागजात और वित्तीय अनियमितता की गड़बड़ियां भूतत्व खान विभाग व तत्कालीन राज्य बिजली बोर्ड की ओर से की गयी थी. ऊर्जा उत्पादन निगम लिमिटेड ने 27 मार्च 2019 में एसीबी को पत्र लिखा था. इस पत्र में तत्कालीन बिजली बोर्ड के पांच अधिकारियों पर एफआइआर की अनुशंसा की गयी थी. इसमें विभागीय सचिव की भी सहमति थी.
सूत्रों के मुताबिक, बिजली बोर्ड के उच्चाधिकारियों द्वारा इस चिट्ठी को चार महीने तक दबा कर रखा गया. यह चिट्ठी अगस्त 2019 को एसीबी को मिली. एसीबी ने ऊर्जा उत्पादन निगम लिमिटेड से पूछा कि इस मामले में निगम को सरकार की तरफ से स्वीकृति मिली है या नहीं. इसके बाद मामला आगे बढ़ा और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एसीबी जांच की मंजूरी दी.
क्या है मामला
साल 2006 में केंद्र सरकार की ओर से पतरातु में पावर प्लांट लगाने का निर्देश दिया गया. जो उस वक्त के झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड की ओर से कराया गया. तत्कालीन मुख्य सचिव की ओर से खान विभाग को ड्रिलिंग कराने का आदेश दिया गया. निवाद के लिए पैनल बनाया गया. एजी की रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि इस पैनल को बनाने और निविदा के मूल्यांकन से लेकर अनुमोदन तक में सीवीसी नियमों का उल्लंघन किया गया.
इतना ही नहीं इस स्वीकृति के लिए किसी सक्षम प्राधिकार को बिना कोई जानकारी दिये खान विभाग को कंपनी का नाम प्रस्तावित कर दिया. इसी सहमति के बाद विभाग की ओर से कार्यादेश दिया गया.
2013 में दिया गया काम
अप्रैल 2013 में मेसर्स साउथ वेस्ट पिनाकल एजेंसी को काम दिया गया. इसमें सीवीसी नियमों का उल्लंघन करते हुए 1.43 करोड़ रुपये की जगह 14.27 करोड़ रुपये का काम दिया गया. बाद में बोर्ड ने कंपनी को लगभग सात करोड़ की राशि काम चालू रखने के लिए दिये. जिससे आवंटन की कुल राशि 21.70 करेाड़ हो गयी. इस मामले में कई स्तर पर अनियमितता की गयी.