Ranchi : ऊपर लिखा गया गाना बहुत पॉप्युलर है. ये सिर्फ गाना नहीं था बल्कि इसमें छिपा बड़ा संदेश भी था कि डाक और डाकिया मुसीबत झेलकर भी अपनी जिम्मेवारी निभा देते थे. मगर ये सारी बातें फिल्मों में ही अच्छी लगती हैं. हकीकत तो इससे बिल्कुल परे है. क्योंकि डाकिये के कारनामे की वजह से ही कुमार पीयूष का करियर अब दांव पर लगा है.
अक्सर लोग महत्वपूर्ण डाक भेजने के लिए डाक विभाग पर आंखें मूंदकर भरोसा करते हैं. इसका कारण यह है कि यह डाक भेजने के बाद एक ट्रैकिंग नंबर मिलता है, जिसमें डाक को ऑनलाइन ट्रैक किया जा सकता है. लेकिन रांची जीपीओ इस मामले में ऐसी भूल कर गया जिसकी भरपाई कैसे होगी. इसका जवाब किसी के पास नहीं है. अब स्टूडेंट सोच में पड़ा है और मन में सिर्फ उसी मनहूस वक्त को कोस रहा है, जब उसने स्पीड पोस्ट की थी.
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धरती निगल गया या आसमान खा गया डाक
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दरअसल कुमार पीयूष जो महाराष्ट्र के पुणे से एमबीए की पढ़ाई कर रहा है. उसने 4 फरवरी 2021 को अपना ओरिजनल मार्कशीट स्पीड पोस्ट के जरिए,रांची के किशोरगंज के एक पते पर भेजा था. ट्रैक करने पर ऑर्डर 8 फरवरी को रांची जीपीओ पहुंचा नजर आ रहा है. डाक को रांची जीपीओ पहुंचे लगभग 15 दिन हो चुके हैं. लेकिन वो स्पीड पोस्ट आजतक अपने सही पते पर नहीं पहुंचा.
डाक का क्या हुआ? उसे धरती निगल गयी या आसमान खा गया? इन सवालों का कोई जवाब ना रांची जीपीओ के पास है और न ही हेड पोस्ट ऑफिस डोरंडा के पास.
तारीख पे तारीख ही मिल रही है
15 फरवरी को रांची जीपीओ में स्पीड पोस्ट के बारे में जानकारी लेने की कोशिश की गयी तो कहा गया कल आइए. लेकिन जब 16 फरवरी को कहा गया कि एक दिन बाद आइए, और इसी तरह हर दिन तारीख पे तारीख मिल रही है.
उपभोक्ता रोज जीपीओ के नंबर पर फोन करता है. मगर मजाल है कि कोई फोन उठाए. सोमवार 22 फरवरी को उपभोक्ता ने डोरंडा हेड पोस्ट ऑफिस में चीफ पोस्ट मास्टर जनरल के नाम शिकायत पत्र दिया, तो रिसिविंग के नाम पर सिर्फ एक हस्ताक्षर कर शिकायत पत्र की कॉपी दे दी गयी. साथ ही ये भी बताया दिया गया कि स्टाम्प जिस ड्रावर में है वो लॉक है. बाद में जब उपभोक्ता ने स्टाम्प की जिद की तो आवेदन की कॉपी पर स्टाम्प लगाया गया. लेकिन साहब उसमें भी उपभोक्ता के पसीने छूट गये.
ट्वीट के बाद भी नहीं मिल रहा कोई जवाब
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उपभोक्ता को सर्कल ऑफिसर ने अब एसएसपीओ ऑफिस जाने का निर्देश दिया है. बहरहाल डाक घरों के चक्कर काटकर, आवेदनपत्र लिखकर अब उपभोक्ता निराश होकर उम्मीद हार बैठा है. ट्वीट के बाद अब उसने सूचना-प्रसारण मंत्रालय को पत्र लिखने का फैसला किया है. फरवरी महीने के अंत से पहले उसे कॉलेज में टीसी जमा करना है,जो बगैर मार्कशीट उसे नहीं मिलेगा. मगर खोया मार्कशीट कब मिलेगा? इसका जवाब डाक विभाग में कोई भी स्पष्ट रूप से नहीं दे रहा.
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