Ranchi: झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र शुरु हो गया. इस विशेष सत्र के दौरान जनजातीय समुदाय के लिए जनगणना-2021 में पृथक आदिवासी/ सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पारित करने के पूर्व विधानसभा के विशेष सत्र में मुख्यमंत्री (प्रभारी गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग) हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड प्रदेश आदिवासी बहुल क्षेत्र है, यहां की एक बड़ी आबादी सरना धर्म को मानने वाली है. सरना धर्म को मानने वाले लोग प्राचीन परंपराओं एवं प्रकृति के उपासक हैं. प्राचीनतम सरना धर्म का जीता जागता ग्रंथ जल जंगल जमीन एवं प्रकृति है.सरना धर्म की संस्कृति पूजा पद्धति आदर्श एवं मान्यताएं प्रचलित सभी धर्मों से अलग है आदिवासी समाज प्रकृति के पुजारी हैं.
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विश्व बढ़ते प्रदूषण एवं पर्यावरण की रक्षा को लेकर चिंतित
सीएम ने कहा कि आदिवासी समाज के लोग पेड़ों पहाड़ों की पूजा करते हैं, जंगलों को संरक्षण प्रदान करने को ही अपना धर्म मानते हैं. उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व बढ़ते प्रदूषण एवं पर्यावरण की रक्षा को लेकर चिंतित हैं, वैसे समय में जिस धर्म की आत्मा ही प्रकृति एवं पर्यावरण की रक्षा है उसको मान्यता मिलने से भारत ही नहीं पूरे विश्व में प्राकृतिक प्रेम का संदेश फैलेगा.
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अपने धार्मिक अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्षरत है आदिवासी समाज
आदिवासी सरना समुदाय पिछले कई वर्षों से अपने धार्मिक अस्तित्व की रक्षा के लिए जनगणना कोर्ट में प्रकृति पूजक सरना धर्मावलंबियों को शामिल करने की मांग को लेकर संघर्षरत है.प्रकृति पर आधारित आदिवासियों के पारंपरिक धार्मिक अस्तित्व की रक्षा की चिंता निश्चित तौर पर एक गंभीर सवाल है.आज सरना धर्म कोर्ट की मांग इसलिए भी उठ रही है क्योंकि प्रकृति आदिवासी सरना धर्मावलंबी अपनी पहचान के लिए आश्वस्त होना चाहते हैं.
विशेष सत्र की खास बातें
विशेष सत्र के दौरान दुमका से विजयी हुए महागठबंधन उम्मीदवार बसंत सोरेन और बेरमो से विजयी हुए कुमार जयमंगल सिंह को शपथ दिलायी गयी.
- विधानसभा में नए सदस्य दुमका से जीते बसंत सोरेन और कुमार जय मंगल ने सदयता की सपथ ली.
- मंत्री हाजी हुसैन अंसारी, रामविलास पासवान समेत अन्य गणमान्य लोगों की मौत पर सदन ने श्रधांजलि दी.
- विधानसभा सत्र में सर्वसम्मति से पास हुआ सरना धर्म कोड
आदिवासियों की जनसंख्या में लगातार कमी
जनगणना 2001 के बाद जब आदिवासी जनसंख्या का प्रतिशत फिर एक बार कम हुआ तो यही प्रतिक्रिया सामने आई कि आखिर कर आदिवासियों की जनसंख्या में लगातार कमी क्यों हो रही है? और कैसे हो रही है? पिछले 8 दशकों की जनसंख्या के आकलन से इस तथ्य को झुटलाया नहीं जा सकता है.
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सरना धर्म कोड के क्या फायदे बताये सीएम ने
- सरना धर्मावलंबी आदिवासियों की गिनती स्पष्ट रूप से जनगणना के माध्यम से हो सकेगी.
- आदिवासियों की जनसंख्या का स्पष्ट आकलन हो सकेगा.
- आदिवासियों को मिलने वाली संवैधानिक अधिकारों (पांचवी अनुसूची के प्रावधानों, ट्राईबल सब प्लान के तहत मिलने वाले अधिकारों, विशेष केंद्रीय सहायता के लाभ तथा भूमि के पारंपरिक अधिकारों) का लाभ प्राप्त हो सकेगा.
- आदिवासियों की भाषा संस्कृति इतिहास का संरक्षण एवं संवर्धन संभव हो सकेगा
विधानसभा से संशोधन के साथ सर्वसम्मति से सरना धर्म कोड पारित हो गया.सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने आदिवासी/सरना धर्म कोड के संशोधन की मांग रखी.अब केंद्र को प्रस्ताव भेजा जाएगा. सीएम ने संशोधन मानते हुए कहा कि सदन इतिहास बनेगा. वहीं सरना धर्मकोर्ड पर विधानसभा सदस्य नीलकंठ सिंह मुंडा, बंधु तिर्की, दीपक बरुआ, लंबोदर महतो, विनोद सिंह ने भी अपने विचार रखे.