Bahragora : जनप्रतिनिधि और पदाधिकारीगण कृपया ध्यान दें- सावन का पावन महीना गुरुवार से शुरू हो गया है. पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड की त्रिवेणी पर बसे बहरागोड़ा प्रखंड के चित्रेश्वर के पौराणिक शिव मंदिर में भगवान शंकर को जलाभिषेक करने के लिए एक माह तक श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ेगा. लेकिन, इस शिव मंदिर में यात्री सुविधाओं का घोर अभाव है. पेयजल और शौचालय की व्यवस्था नहीं है. मंदिर तक जाने वाली 500 मीटर लंबी सड़क गड्ढों में तब्दील है. मंदिर के तालाब की साफ-सफाई भी नहीं हुई है. मंदिर परिसर में लगाए गई हाई मास्ट लाइट भी खराब है. चिकित्सा की व्यवस्था भी नहीं है. ऐसे में भोले बाबा को जलाभिषेक करने आये श्रद्धालुओं को भारी कष्ट होगा. श्रद्धालु भगवान शंकर के भरोसे ही यहां दर्शन करने आएंगे. जनप्रतिनिधियों और सरकारी पदाधिकारियों का ध्यान इस ओर नहीं है.
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तीन हजार साल पुराना है मंदिर
3000 वर्ष पुराने और स्कंद पुराण के उत्कल खंड में वर्णित यह शिव मंदिर तीन राज्यों के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का शिव लिंग देश का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग है. कोरोना के कारण विगत दो साल से सावन के महीने में जलाभिषेक और पूजा बंद थी, परंतु इस बार मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ेगा.
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तीन सोलर जलापूर्ति महीनों से खराब
मंदिर परिसर और उसके आसपास स्थापित तीन सोलर जलापूर्ति योजनाएं महीनों से खराब पड़ी हैं. मंदिर परिसर में मंदिर कमेटी के पदाधिकारियों ने निजी स्तर से दो चापाकल लगवाए हैं. ऐसे में श्रद्धालुओं को पेयजल के लिए परेशानी उठानी पड़ेगी. सावन के मद्देनजर जलापूर्ति योजनाओं की मरम्मत नहीं हुई है.
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लाखों रुपए से बना शौचालय झाड़ियों से घिरा
मंदिर के पास स्थित तालाब के किनारे लाखों की लागत से बना सुलभ शौचालय झाड़ियों से घिरा है. शौचालय तक जाने के लिए बने रास्ते पर झाड़ी उग आए हैं. शौचालय में लगाए गए उपकरण भी बर्बाद हो गए हैं. मंदिर के पास सिर्फ एक शौचालय है, जो महिलाओं के लिए है.
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मंदिर परिसर का प्रवेश द्वार आठ साल से अधूरा
पश्चिम बंगाल के मदनशोल चौक के पास निर्मित मंदिर परिसर का प्रवेश द्वार विगत आठ साल से अधूरा है. प्रवेश द्वार से मंदिर तक करीब 500 मीटर लंबी सड़क गड्ढों में तब्दील होकर तालाब का नजारा प्रस्तुत कर रही है. पश्चिम बंगाल के भातहड़िया से मंदिर तक आने वाली सड़क तालाब में तब्दील है. ऐसे में यहां आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी उठानी पड़ेगी.
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हाईमास्ट लाइट महीनों से खराब
मंदिर परिसर में लगाई गई दो हाई मास्ट लाइट महीनों से खराब पड़ी है. बिजली के खंभों पर लगाई गई स्ट्रीट लाइटें भी खराब हैं. नतीजतन शाम होते ही मंदिर परिसर में अंधेरा पसर जाता है, क्योंकि पर्याप्त लाइट नहीं है.
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मंदिर का तालाब है गंदा
मंदिर के तालाब की सफाई भी नहीं हुई है. तालाब के किनारे झाड़ियों की भरमार है और कचरे बिखरे पड़े हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु इसी तालाब में स्नान करते हैं. मंदिर आने वाली सड़क के किनारे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है, परंतु यहां चिकित्सा की उचित व्यवस्था भी नहीं है. चिकित्सक का पदस्थापन नहीं है. सावन के महीना में यहां चिकित्सा की जरूरत महसूस की जा रही है. मंदिर के पुजारी दीपक सतपति और स्वपन सतपति ने कहा कि मंदिर परिसर में यात्री सुविधाओं का होना जरूरी है. जलापूर्ति योजनाओं और हाईमास्ट लाइट की मरम्मत जरूरी है. सड़क की मरम्मत भी आवश्यक है, ताकि श्रद्धालुओं को परेशानी न हो.