Dhanbad : बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय की ओर से भारतीय शिक्षण परंपरा एवं संस्कृत विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार 12 अगस्त को धनबाद (Dhanbad) के धैया स्थित सिंफर ऑडिटोरियम में शुरू हुआ. मुख्य अतिथि सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ गुजरात गांधीनगर के कुलपति प्रो. रमाशंकर दुबे ने उद्घाटन किया. मुख्य वक्ता देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में 16 वर्षों तक कुलपति रहे प्रो. (डॉ.) एसके सथपति ने कहा कि झारखंड में बोली जाने वाली हो व संथाली आदि भाषा संस्कृत से प्रेरित है. वैदिक युग की गुरु-शिष्य परंपरा व आज के शिक्षक-छात्र संबंध की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अब तो शिक्षक पहली पंक्ति में बैठे विद्यार्थियों के नाम तक नहीं जानते. विद्र्थियों में भी शिक्षक के प्रति वैदिक युग वाली श्रद्धा नहीं है.
झारखंड के विश्वविद्यालयों में संस्कृत जिंदा है
प्रो. सथपति ने कहा कि जहां पूरे विश्व में संस्कृत अपना अस्तित्व खोती जा रही है, वहीं, झारखंड के विश्वविद्यालयों में यह आज भी जिंदा है. यहां के लगभग सभी विश्वविद्यालयों के लोगो में ध्येय वाक्य के रूप में संस्कृत के श्लोक सुने जाते हैं. बीबीएमकेयू में भी “तमसो मा ज्योतिर्गमय” के रूप में संस्कृत शब्द विद्यमान है. उन्होंने शिक्षण को वैदिक युग के आचरण में ले जाने के लिए आठ बिंदुओं पर चर्चा की.
तिलक लगाकर व मौली बांधकर हुआ अतिथियों का स्वागत
सेमिनार में मंच संचालन की शुरुआत हिंदी व संस्कृत से हुई. वहीं वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ अतिथियों को तिलक लगाकर व कलाई में मौली बांधकर मंच पर प्रवेश कराया गया. अतिथि अपने जूते-चप्पल उतार कर ही मंच पर विराजमान हुए. इसके पहले सभी ने सवर्गीय बिनोद बिहारी महतो की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया.
उद्घाटन सत्र में ये रहे मौजूद
सेमिनार का उद्घाटन सेंट्रल यूनिवर्सिटी गांधीनगर के कुलपति प्रो. रमा शंकर दुबे ने किया. उनके साथ विशिष्ट अतिथि टुंडी विधायक मथुरा प्रसाद महतो, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बीबीएमकेयू के कुलपति प्रो. सुखदेव भोई, बीजीएसबीयू राजौरी जम्मू और कश्मीर के कुलपति प्रो. अकबर मसूद, जयप्रकाश यूनिवर्सिटी छपरा के पूर्व कुलपति प्रो. हरिकेश सिंह, प्रो. एचके सथपति, बीबीएमकेयू के प्रति कुलपति प्रो. पीके पोद्दार और रजिस्ट्रार डॉ. विकास कुमार भी थे. मंच संचालन डॉ. डीके चौबे और डॉ. हिमांशु शेखर चौधरी ने किया.
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