Uday Shankar Singh
Jamtara : संथाल परगना का द्वार कहा जाने वाला जामताड़ा ज़िला ही सरकार की उपेक्षा का शिकार है. ज़िले की स्वास्थ्य व्यवस्था को देखकर इस बात से कतई इंकार नहीं किया जा सकता कि सरकार और प्रशासन ने स्वास्थ्य व्यवस्था को भगवान भरोसे छोड़ दिया है. पंचायतों के उप स्वास्थ्य केन्द्र से लेकर सदर अस्पताल तक चिकित्सकों की घोर किल्लत से जामताड़ा ज़िला जूझ रहा है.
चिकित्सक ही नहीं तो इलाज़ कैसे
जिले मे 15 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 4 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 132 उप स्वास्थ्य केंद्र होने के बावजूद भी मरीजों को इलाज़ का समुचित लाभ नही मिल रहा है. यहां सालों से चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी है. जिले में सदर अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों में 30 डॉक्टरों की पदस्थापना हुई है. जिसमें 8 चिकित्सक की सेवा श्रावणी मेला में ली जा रही है. जिसका ख़ामियाज़ा गरीब और लाचार ग्रामीण मरीज़ों को भुगतना पड़ रहा है.
ग्रामीण इलाकों में हाल और बुरा
जामताड़ा प्रखंड में सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कुल 11 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं. जिसमें 4 डॉक्टर ही पदस्थापित हैं. मिहिजाम और लाधना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में दो-दो चिकित्सकों पद स्वीकृत है. लेकिन इन दोनों प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक भी चिकित्सक की पदस्थापना नही हुई है. वहीं अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दक्षिणबहाल में दो चिकित्सक पदस्थापित है. जिन्हें अन्यत्र प्रतिनियुक्त कर दिया गया है. इसके अलावे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र करमाटांड़ में दो डॉक्टर के पद स्वीकृत हैं, जिसमें एकमात्र डॉक्टर सुबह 9 बज़े से शाम 3 बज़े तक सेवा दे रहें हैं. बाकी समय केन्द्र एएनएम के भरोसे ही चलता है.
ज़िले में 59 डॉक्टरों के पद रिक्त
जिले भर में कुल 89 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं. जिसमें मात्र 30 डॉक्टर ही कार्यरत हैं. करीब 59 डॉक्टरों के पद वर्षों से रिक्त हैं. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सदर अस्पताल में डॉक्टरों के कुल 29 पद स्वीकृत हैं. लेकिन 10 चिकित्सक ही कार्यरत हैं. बाकी 19 पद रिक्त है. सदर अस्पताल में सात महिला चिकित्सकों के स्वीकृत पदों में सिर्फ तीन महिला चिकित्सक ही पदस्थापित हैं.
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