LagatarDesk : बॉम्बे हाई कोर्ट ने फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) को जॉनसन एंड जॉनसन बेबी पाउडर के सैंपल की फिर से जांच करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कंपनी को बेबी पाउडर को बनाने की भी अनुमति दे दी है. हालांकि कंपनी प्रोडक्ट की ना तो बेच सकेंगे और ना ही डिस्ट्रिब्यूट कर सकेंगे. क्योंकि महाराष्ट्र के एफडीए ने जॉनसन बेबी पाउडर की बिक्री और वितरण पर रोक लगा रखी है. बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने 15 सितंबर को जॉनसन एंड जॉनसन के लाइसेंस को रद्द करने का आदेश दिया गया था. वहीं 20 सितंबर को बेबी पाउडर के प्रोडक्शन और बिक्री पर रोक लगायी थी. इन दोनों आदेशों को चुनौती देते हुए कंपनी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिस पर आज सुनवाई हुई. (पढ़ें, नामकुम में नकली शराब फैक्ट्री का उद्भेदन, मशीन और स्प्रिट बरामद)
30 नवंबर को होगी मामले की अगले सुनवाई
न्यायमूर्ति एस वी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति एस जी डिगे की खंडपीठ ने बुधवार को एफडीए को निर्देश दिया कि वह तीन दिनों के अंदर जॉनसन बेबी पाउडर के नये सैंपल ले. इसके बाद इन सैंपल को तीन लैब में जांच के लिए भेजे. यह लैब केंद्रीय दवा परीक्षण प्रयोगशाला (पश्चिमी क्षेत्र), एफडीए लैब और इंटरटेक लैबोरेटरी हैं. कोर्ट ने लैब को एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई 30 नवंबर को होगी.
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अपने रिस्क पर पाउडर का प्रोडक्शन कर सकती है कंपनी
जॉनसन एंड जॉनसन के वकील रवि कदम ने कोर्ट से मांग की कि कंपनी को तब तक कम से कम प्रोडक्ट्स का प्रोडक्शन करने की अनुमति दे. इस पर पीठ ने कहा कि सरकार ने बेबी पाउडर की बिक्री या वितरण पर रोक लगा दी है. कंपनी को इस आदेश का पालन करना होगा. अगर कंपनी प्रोडक्शन करना चाहती है, तो उसे अपने रिस्क पर करना होगा.
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स्टैंडर्ड क्वालिटी का नहीं था बेबी पाउडर
दिसंबर 2018 में एफडीए ने एक औचक निरीक्षण किया था. इसमें जॉनसन एंड जॉनसन के पुणे और नासिक प्लांट में क्वालिटी चेकिंग की गयी थी. मुलुंड प्लांट से लिये गये बेबी पाउडर के सैंपल को स्टैंडर्ड क्वालिटी का नहीं पाया गया. 2019 में इस टेस्टिंग पर फैसला आया, जिसमें कहा गया कि बच्चों के लिए यह स्किन पाउडर आईएस 5339:2004 के नियमों के मुताबिक नहीं है. इसके बाद ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के अंतर्गत कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. नोटिस में पूछा गया कि कंपनी का मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस क्यों रद्द नहीं करना चाहिए. लेकिन कंपनी ने सरकार की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया और बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसपर आज सुनवाई हुई.
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