झारखंड नरेगा वॉच ने की है फैक्ट फाइडिंग, अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज भी रहे हैं शामिल
- जो तीन सालों से हैं बीमार, उसके नाम भी चढ़े हुए हैं मस्टर रोल में
- मस्टर रोलों के सत्यापन और हस्ताक्षर मिलान से हो सकता है बड़े घोटाले का खुलासा
- डोभा के नाम पर मनरेगा योजनाओं की लूटी जा रही राशि
- मनरेगा घोटालों की जांच के लिए प्रशासन तत्काल उच्च स्तरीय जांच समिति का करे गठन
Ranchi : झारखंड नरेगा वॉच की चार सदस्यीय टीम ने लातेहार जिले के मनिका प्रखंड में चल रही मनरेगा योजनाओं की स्थिति का जायजा लिया है. इसमें जाने-माने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज भी शामिल रहे. टीम की ओर से मनरेगा योजनाओं में चल रही गड़बड़ी की जांच के लिए प्रशासन से तत्काल उच्च स्तरीय जांच समिति गठन करने की मांग की गई है. लगातार.इन में खबर प्रकाशित होने के बाद लातेहार के डीसी अबु इमरान तत्काल इस पर एक्शन लिया है. उन्होंने डीडीसी को इस मामले में शीघ्र जांच प्रतिवेदन मांगा है.
देखें जांच का ऑर्डर…
इससे पहले टीम ने मनिका प्रखंड में चल रही मनरेगा योजना से जुड़े कई चौंकानेवाले तथ्य का उजागर किया है, जिससे मनरेगा योजनाओं में बड़ा घोटाला सामने आ सकता है. टीम ने 14 योजनाओं का भौतिक निरीक्षण कर पाया मनरेगा योजनाओं में मस्टर रोल किसी और मजदूर का निकाला जाता है और उसके स्थान पर कोई दूसरा मजदूर काम करता है. इतना ही नहीं, तीन साल से बीमार और लकवाग्रस्त व्यक्ति के नाम से भी मस्टर रोल निकाले जा रहे हैं. टीम का मानना है राज्य में मनरेगा योजनाओं में पूरी तरह बिचौलियों की पैठ हो गई है. वहीं पंचायत और प्रखंड स्तर पर अनुपयोगी योजनाओं का भी तकनीकी स्वीकृति दी जा रही है, जिसमें मनरेगा मजदूरों को शोषण चरम पर है. योजनाओं में जेसीबी मशीन से काम करने के भी प्रमाण मिले हैं. मस्टर रोलों के सत्यापन और हस्ताक्षर मिलान से मनरेगा योजना में बड़े घोटाले का खुलासा हो सकता है.
टीम ने लातेहार जिले के मनिका प्रखंड की 14 मनरेगा योजनाओं का वस्तुस्थिति का आकलन किया गया. इसमें देश के जानेमाने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज, नरेगा वॉच के संयोजक जेम्स हेरेंज, नरेगा सहायता केंद्र से जुड़े पचाठी सिंह और अमरदयाल सिंह शामिल थे.
क्या है झारखंड नरेगा वॉच की रिपोर्ट में
मनिका प्रखंड प्रशासनिक महकमे के नाक के तले भदई बथान स्कूल के पूर्व नदी के उस पार टोंगरी के एक वर्ग किलोमीटर में इन दिनों आधे दर्जन से ज्यादा डोभा निर्माणाधीन हैं. इसी तरह मनिका पंचायत के मनिका ग्राम में मनरेगा एमआईएस रिकॉर्ड के अनुसार 37 डोभा निर्माण योजनाओं पर कार्य संचालित होना दिखाया जा रहा है. 80 वर्ग 80 फीट और 10 फीट गहराई वाले प्रत्येक डोभा की प्राक्कलित राशि 3.23 लाख है. इन योजनाओं का एमआईएस रिकॉर्ड का सत्यापन जब वास्तविक धरातल पर किया गया, तो इसमें मनरेगा मजदूरों की उपस्थिति नहीं थी. मगर पासवान के डोभा में जहां 24 मजदूरों का नाम मस्टर रोल में दिखाया गया है, वहां सिर्फ 3 मजदूर कबूतरी देवी, रामनंदन यादव और प्रयाग ही काम कर रहे थे. इसी प्रकार उमेश पासवान के डोभा में स्वयं लाभुक सहित 2 अन्य उपस्थित पाए गए. जबकि मस्टर रोल में 32 लोगों के नाम दर्ज हैं. ठीक इसी तरह भदई बथान स्कूल के पूर्व नदी के उस पार टोंगरी के चारों ओर 7 डोभा में से सिर्फ 2 पर ही खुदाई का काम चल रहा था, जहां जांच टीम के पहुंचने से पहले ही बिचौलियों ने मजदूरों को भगा दिया था.
कार्यस्थल पर पहली योजना में 2 प्लास्टिक तगाड़ी, 2 कुदाल, 1 झेलंगी और 1 गैंता और दूसरे योजना स्थल पर भी 4 प्लास्टिक तगाड़ी, 2 कुदाल, झेलंगी और 2 गैंता पड़ा हुआ था. शेष 5 डोभा ऐसे स्थान पर बनाए गए हैं, जो तकनीकी दृष्टिकोण से पूर्णरूप से अनुपयुक्त हैं. इन योजना स्थलों पर किसी भी तरह का सूचना बोर्ड नहीं है और न ही जांच के भय से कोई यह बताने को तैयार है कि उक्त सभी योजनाएं किन नामों से स्वीकृत हैं. इस कारण ऑनलाइन रिकॉर्ड से मिलान करना मुश्किल हो रहा है, लेकिन मनिका गांव के ऑनलाइन ट्रेंड से स्पष्ट होता है कि उन सभी योजनाओं के फर्जी मस्टर रोल संधारित किये जा रहे हैं, जहां कोई काम नहीं चल रहा या कार्य पूरा हो चुका है. उनमें से एक योजना पर जेसीबी मशीन से काम कराया गया है.
प्रशासन की मिलीभगत से चल रही बिचौलियों की मनमानी
टीम द्वारा प्रखंड की कई मनरेगा योजनाओं का कार्यस्थल का निरीक्षण किया. टीम ने पाया कि मनरेगा अधिनियम की अनुसूची 2 की धारा 21 में ठेकेदारों और बिचौलियों पर मनाही के बावजूद मनिका में मनरेगा योजनाओं पर बिचौलिये संलिप्त हैं. यह पूरा खेल प्रखंड प्रशासन की मिलीभगत से हो रहा है.
मस्टर रोल निर्गत पंजी के अवलोकन के बजाय ऑनरिकॉर्ड रामचंद्र यादव, गौरी यादव, शम्भू पासवान, केशव यादव, अवधेश यादव, सुनील यादव और सुनील यादव सरीखे बिचौलियों के नाम मस्टर रोल प्राप्तकर्ताओं के तौर पर दर्ज हैं. रोजगार सेविका ने खुद स्वीकारा कि पूरी पंचायत में सिर्फ 6 मनरेगा मेट पंजीकृत हैं. सवाल यह है कि आखिर कार्यस्थल पर देखरेख और सुविधाओं को सुनिश्चित करने की जवाबदेही किस पर है.
भ्रष्टाचार की एक बड़ी वजह फर्जी प्राक्कलन
मनरेगा में डोभा निर्माण प्रारंभ से ही विवादों के घेरे में रहा है. योजना क्रियान्वयन के लिए जो मॉडल प्राक्कलन निर्धारित है, वह तकनीकी कर्मियों के लिए गाइडेंस के लिए मात्र है और बिल्कुल सपाट भूमि को आधार माना गया है. कनीय अभियंताओं को वास्तविक धरातल की वस्तुस्थिति के अनुरूप प्राक्कलन तैयार करने की प्रशासनिक जवाबदेही है. पर जिन 14 योजनाओं का स्थल निरीक्षण किया गया, सभी में डोभा के आधे भाग से मिट्टी काटकर एक तरफ के मेढ़ में ही मिट्टी डालने का काम किया गया है.
हो सकते हैं कई बड़े खुलासे
कृष्ण पासवान की जमीन में डोभा निर्माण के कार्य में लगे मजदूरों के संबंध में उनकी मां शीला देवी ने बताया कि उसमें सिर्फ सधवाडीह के मजदूरों ने मिट्टी काटने का काम किया था. काम कराने वाले बिचौलिया मनिका, भदईबथान टोला के बिनोद यादव (उम्र 38 साल, पिता द्वारिक यादव) हैं. योजना दस्तावेज में संधारित मस्टर रोल सत्यापन पाया गया कि ग्रामीण बैंक मनिका के सामने वाली गली में निवास करने वाले अयोध्या मोची, जिसका कार्ड सं0 75522, जो पिछले 3 वर्षों से लकवा बीमारी से ग्रसित हैं. उनके नाम से फर्जी तरीके से मस्टर रोल में हैं और उनके नाम पर 3 वर्षों में 204 मानव दिवस का कुल 37740 रुपये की निकासी कर ली गई है. इसी तरह घर में डंडे के सहारे निकलने घुसने वाले भदई बथान रोड निवासी मनिका के बुजुर्ग बिरेन्द्र प्रसाद (कार्ड सं0 44419) के नाम से भी 3 सालों में 155 दिन का 28875 रूपये की निकासी कर ली गई.
सिर्फ इतना ही नहीं ग्रामीण बैंक के बगल में मोबाइल दुकान में पूरा समय बिताने वाले सुजीत कुमार (कार्ड सं.1236, पिता बिनेश मांझी) के नाम से तीन सालों में 120 मानव दिवस के कुल 22728 की निकासी कर ली गई है. और भी मनिका बाजार के कई किराना दुकानदारों, अंडे दुकान वालों, गेट ग्रिल और नियमित रूप से दूसरे काम करने वालों के नाम से फर्जी जॉब कार्ड आईडी और मस्टर रोल संधारित कर अंधाधुंध राशि की लूट की जा रही है, जो कभी मनरेगा कार्यों में नहीं गए हैं.
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मनरेगा मजदूरों का हो रहा है शोषण
सन्तु पासवान के डोभा निर्माण में लगे मजदूरों रामनंदन यादव व पत्नी सबुरी देवी, प्रयाग बैठा ने बताया कि डोभा मालिक 100 घन फीट मिट्टी काटने के एवज में 250 रुपये प्रति चौका मजदूरी नगद, खाता में भी देते हैं. इसी तरह सधवाडीह, नवाटोली नामुदाग पंचायत के मजदूरों ने मोबाइल पर बताया कि ठेकेदार बिनोद यादव उनको 100 घन फीट मिट्टी काटने के एवज में 250 रुपये प्रति चौका नगद मजदूरी और खाता में मिलाकर देते हैं. जबकि मनरेगा में मिट्टी के प्रकार के अनुसार 73, 54 और 44 घनफीट में ही एक हाजरी का भुगतान किया जाना है. मजदूरों को ढाई सौ रुपये देने की आड़ में एक तरफ जहां प्रत्येक सप्ताह 60 मजदूरों के फर्जी नाम भरे जा रहे हैं. वहीं बिचौलिए मजदूरों से लगभग दोगुने काम ले रहे हैं.
टीम ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार से की है कई मांग
टीम ने जिला प्रशासन से मांग की है कि जिला प्रशासन तत्काल एक उच्च स्तरीय जांच समिति, जिसमें तकनीकी अधिकारी भी शामिल हों. गठित कर योजनाओं की सघन जांच करवाए. जांच पूरी होने तक तत्काल सभी मजदूरी भुगतान पर रोक लगाएं. सभी योजना स्थलों पर सूचना बोर्ड लगाना सुनिश्चित करें, भौतिक रूप से पूर्ण योजनाओं को एमआईएस में भी बंद करें, ताकि आगे इन योजनाओं के भुगतान को रोका जा सके. अनुपयोगी योजनाओं को यथास्थिति बंद करें और फर्जी तरीके से निकासी की गई राशि 12 फीसदी ब्याज के साथ वसूली की जाए.