Sanjeet Yadav
Palamu : सरकार के आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर कई नक्सलियों ने सरेंडर किया है. सरेंडर करने के बाद सभी मुख्यधारा से जुड़ रहे है. इसी क्रम में हार्डकोर माओवादी बालकेश्वर उरांव उर्फ विनय उरांव उर्फ बड़ा विकास ने भी साल 2016 में सरेंडर किया था. जिसके बाद उसे जेल जाना पड़ा. सजा काटकर बाहर आने के बाद बालकेश्वर उरांव उर्फ विनय उरांव मजदूरों का आवाज बुलंद करने का काम कर रहे है. वो मजदूर संगठन बिरसा मुंडा कामगार यूनियन में जुड़ कर लड़ाई लड़ रहे है.
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बालकेश्वर उरांव जल्द ही राजनीति में आयेंगे
बताया जा रहा है कि पूर्व माओवादी बालकेश्वर उरांव जल्द ही राजनीति में आयेंगे और विधानसभा चुनाव भी लड़ेंगे. बालकेश्वर उरांव मनिका विधानसभा से चुनाव लड़ सकते हैं. बता दें कि पूर्व माओवादी अरविंद जी के बाद बालकेश्वर उरांव ने मोर्चा संभाला था, लेकिन राज्य सरकार और पूर्व डीजीपी डी के पांडे के समझाने के बाद वे साल 2016 में हथियार के साथ सरेंडर किया था. अब वो जेल से निकलने के बाद मुख्यधारा में जुड़ कर राजनीतिक क्षेत्र में पकड़ बना रहे हैं.
लंबे समय तक माओवादी विचारधारा से और माओवाद में काम किया
पूर्व माओवादी बालकेश्वर उरांव उर्फ विनय उरांव ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि लंबे समय तक माओवादी विचारधारा से और माओवाद में काम किया. मैं इस उद्देश्य से माओवाद में गया था कि मार्क्स वाद और माओवाद के विचार को आगे बढ़ाए और लोगों को हक अधिकार की लड़ाई लड़ी जाये. उन्होंने बताया कि मार्क्स ने कहा था कि मानवों के सारी सुविधा के बावजूद अगर वो हक अधिकार से वंचित हैं, तो इसका मानव का दुबारा ही किसी ना किसी प्रकार का उसका अड़ंगा होता है, जिसके चलते इस व्यवस्था में उपलब्ध आवश्यक वस्तुओं को पूरा नहीं कर पाता है. इसी उद्देश्य को देखते हुए हमने मजदूर, किसान और देश वासियों को लेकर के हक अधिकार के लिए करके हमने लड़ाई लड़ा.
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आज हम मुख्यधारा लौट आये है
उन्होंने कहा कि उस समय भी खासकर करके देखिएगा तो नब्बे के दशक में जमींदारी शोषण, जंगल के फॉरेस्ट शोषण काफी तीव्र था. जिससे गरीब जनता को परेशानी हो रही थी. इसी उद्देश्य के साथ मैंने माओवाद का रास्ता अपनाया था ,लेकिन वहां पर भी कुछ स्वार्थी तत्वों के लोग उस मार्क्सवाद के विचारधारा को दरकिनार करते हुए अपना स्वार्थ यापन करने लगे. जिसके चलते हमने उस रास्ते को त्याग करके हम सरकार के आत्मसमर्पण पुनर्वास नीति के तहत में आ कर आत्मसमर्पण किया. आज हम मुख्यधारा लौट कर आए और समाज के साथ में जुड़े हुए हैं.
क्षेत्र की जनता आज भी संघर्ष कर रही
उन्होंने कहा कि आज भी समाज के अंदर मजदूरी की सवाल , विस्थापन की सवाल, आदिवासी की जमीन, आदिवासियों के इज्जत,आदिवासियों की संस्कृति के सवाल आज भी विकट समस्या है. जिसे आज भी सरकार पूरी तरह से सुलझा नहीं पायी है. जिसके कारण क्षेत्र की जनता आज भी संघर्ष कर रही है. आम लोगों की आवश्यकताओं और संघर्ष को पूरा करने के लिए हमारे यहां बिरसा मुंडा कामगार यूनियन का गठन किया गया है. उसी यूनियन में हम आज सदस्य बने है. आज मैं बहुत खुश हूं कि इस संगठन में जुड़ कर हम लोगों के आवाज को और बुलंद करेंगे.
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