Jamshedpur (Anand Mishra) : कविगुरु रविन्द्रनाथ टैगोर की 162वीं जयंती के अवसर पर जमशेदपुर के साकची स्थित कला-संस्कृति के प्रमुख केन्द्र रविन्द्र भवन परिसर में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यह आयोजन टैगोर सोसाईटी के बैनर तले हुआ. कार्यक्रम के पहले चरण में प्रातः 5.30 बजे प्रभातफेरी टैगोर सोसाईटी प्रांगण से निकलकर बागे जमशेद चौक साकची बड़ा गोलचक्कर होते बंगाल क्लब चौक से जुबिली पार्क चौक के रास्ते रविन्द्र भवन परिसर में आकर संपन्न हुई. प्रभातफेरी में टैगोर स्कूल ऑफ आर्टस एवं टैगोर एकेडमी के छात्र-छात्राएं व शिक्षक-शिक्षिकाएं शामिल हुए. इस अवसर पर कविगुरु को उनके जन्मदिन पर स्मरण करते हुए टैगोर सोसाईटी के उपाध्यक्ष डॉ गौतम दासगुप्ता ने कहा कि ऐसे महामानव का जन्म मानवजाति के उत्थान के लिए होता है. उन्होने अपने कला साहित्य से जो मार्ग दिखाया न सिर्फ वह सृजन का था, बल्कि उसमें सभी प्राणी मात्र के लिए दया एवं करुणा के भाव थे. उनकी रचनाओं में प्रकृति भी अपनी छटा में दिखती है. बसंत, वर्षा जैसे विषयों उनके साहित्य में मानो जीवित हैं.
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इसके पश्चात कविगुरु के जन्मदिन पर कला संस्कृति के साथ श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए टैगोर स्कूल ऑफ आर्टस के छात्र-छात्राओं ने रविन्द्र संगीत के साथ साथ नृत्य प्रस्तुत किया. जिसमें ओई महामानव आसे, ए दिन आजि कोन घरे, महाविश्वे एवं तोमार आनंद ओई गीत प्रस्तुत किया. कवि गुरु के जन्म दिवस की संध्या भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों से भरपूर रही, जिसमें शहर स्थित व टैगोर सोसाईटी द्वारा संचालित टैगोर स्कूल ऑफ आर्टस की शाखाओं ने अपनी-अपनी प्रस्तुति देकर लोगों को कविगुरू की रचनाओं से जोड़ा. इस कड़ी में पहला सांस्कृतिक कार्यक्रम में पहली प्रस्तुति परसुडीह शाखा द्वारा दी गयी, जिसमें कवि गुरु की रचना आमार प्राणेर मानुष, एषो हे बैशाख, ओई बुझी काल बैशाखी पर गीत एवं नृत्य का मंचन हुआ. इसी कड़ी में टेल्को शाखा के छात्र-छात्राओं द्वारा नृत्य एवं गीत पर आधारित प्रेमेरो जोवारे, फूल बोले, सखि आधारे एकला घरे आदि गीत पर मंचन किया गया।
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तीसरी कड़ी में सोनारी शाखा के बच्चों ने प्रस्तुति दी. कदमा शाखा के छात्र-छात्राओं ने मोर संध्याए तुमि, लहो लहो तुले लहो एवं ओहे सुन्दरो मोरि मोरि गीत पर नृत्य मंचित किया। इसी कड़ी में अंतिम प्रस्तुति बारीडीह एवं केबल शाखा के संयुक्त प्रयास से राग आधारित बोलों पर कवि गुरु रचना को प्रस्तुत किया, जिसमें मुख्यतः काफि, भीमपलासी, इमन, खंबाज, अल्हया बिलावल राग पर ओई पोहा इलो तिमिरो राति, बिपुलो तरंगो रे, मोदेर जेमोन खेला इन दिनों की प्रस्तुति हुई.
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कार्यकम की समाप्ति के पश्चात अपनी बात रखते हुए टैगोर सोसाईटी के महासचिव आशीष चौधुरी ने बताया कि कविगुरु को श्रद्धांजलि के माध्यम से युवा पीढ़ी को जोड़ने का कार्य किया जा रहा है, ताकि वे अपने समृद्ध अतीत और कवि गुरु की कालजयी रचनाओं को जान सकें. इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए बुधवार (10 मई) को भी गुरुवर का जन्मोत्सव आयोजित किया जायेगा, जिसमें टैगोर एकेडमी के शिक्षक–शिक्षिकाओं के द्वारा रबीन्द्रों नृत्यो सामान्य खति एवं सागरिका हिन्दी नाटक देना-पावना एवं श्रुति नाटक कर्ण-कुन्ति संवाद का मंचन प्रस्तुति देकर श्रद्धांजलि कवि प्रणाम के रूप में दी जायेगी. इसी कड़ी में तीसरे दिन यानी गुरुवार (11 मई) को टैगोर स्कूल ऑफ आर्टस के रबीन्द्र भवन शाखा के छात्र-छात्राओं द्वारा रबीन्द्र नाथ टैगोर द्वारा रचित कविता एवं गीत के समन्वय की रचना शिशु एवं शिशु भोलानाथ, रबीन्द्रो साहित्ये व्यतिक्रमी नारि एवं नृत्यगीती श्यामा का मंचन किया जायेगा.