Ranchi: रांची में स्मार्ट मीटर लगाने के टेंडर में शुरू से गड़बड़झाला रहा है. स्मार्ट मीटर लगाने के लिए झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) ने दिसंबर 2018 में टेंडर निकाला था. जिसकी सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद 17 अक्तूबर 2019 को एल वन कंपनी का चयन हुआ. इसके चार दिन बाद 21 अक्तूबर 2019 को एल वन कंपनी बदल गयी और दूसरी कंपनी M/S HPL को एल वन कंपनी घोषित कर दिया गया. बाद में विवाद से बचने के लिए जेबीवीएनएल ने टेंडर को ही रद्द कर दिया.
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जेबीवीएनएल के पत्र से खुलासा
जेबीवीएनएल ने पॉवर ग्रीड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और एनर्जी स्पेसिलिस्ट एंड टास्क टीम लीडर को टेंडर रद्द किये जाने के कारण के बारे में पत्र लिखा है. इस पत्र में जेबीवीएनएल ने जो कारण बताये हैं, वह चौंकाने वाले हैं. जेबीवीएनएल ने टेंडर की पूरी प्रक्रिया किस तरह से पूरी की गयी, इसकी भी जानकारी दी है.
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तीन कंपनियों का हुआ था चयन
रांची स्मार्ट मीटर प्रोजेक्ट 228.69 करोड़ रुपये का था. इसमें केंद्र से 30 फीसदी राशि मिल रही थी, जबकि विश्व बैंक से 32 और राज्य सरकार को 38 फीसदी राशि खर्च करनी थी. प्री-बिड में 35 कंपनियों ने हिस्सा लिया और 256 सुझाव आये. जिसमें चार कंपनियों ने टेंडर भरा. टेंडर को दो हिस्सों टेक्निकल और फाइनेंशियल में बांटा गया था. तीन कंपनियों M/S Genus, M/S L&T और M/S HPL के टेंडर को मंजूर किया गया.
M/S L&T बनी थी एल वन कंपनी
PMO counsultant M/s TPDDL को टेंडर मूल्यांकन की जिम्मेदारी दी गयी थी. उसने 17 अक्तूबर 2019 को ई-मेल के जरिए M/S L&T को एल वन कंपनी घोषित किया. लेकिन इसके चार दिन बाद 21 अक्तूबर 2019 को M/s TPDDL ने पत्र के जरिए M/S HPL को एल वन कंपनी घोषित कर दिया.
जेबीवीएनल ने पत्र में लिखा है कि M/s TPDDL की भूमिका सही नहीं रही. उसकी वजह से टेंडर को लेकर विवाद शुरू हुआ. तीनों कंपनियों ने टेंडर प्रक्रिया पर आपत्ति जतायी.
विवाद से बचने के लिए टेंडर किया रद्द
पत्र में जेबीवीएनएल ने कहा है कि मामले की जांच के लिए एक कमेटी बना दी गयी है. जिसके रिपोर्ट का इंतजार है. इस बीच जेबीवीएनल ने विश्व बैंक से भी बातचीत की. विवाद से बचने और योजना को कानूनी पेंच में फंसने से बचने के लिए टेंडर को रद्द करने का निर्णय लिया गया. जेबीवीएनएल ने मार्च 2020 में टेंडर को रद्द कर दिया.
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