Ranchi: झारखंड में पंचायत चुनाव समय पर होगा इसके आसार नहीं दिख रहे हैं. कोरोना संकट और राज्य सरकार की वित्तीय हालत का हवाला देते हुए ऐसा किया जा रहा है. साथ ही राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद खाली होना भी चुनाव ना होने का कारण माना जा रहा है. दूसरी तरफ राज्य के पंचायत प्रतिनिधि चाह रहे हैं कि या तो सरकार चुनाव समय पर कराए या फिर कोई ऐसी नीति तैयार हो जिससे सारा पावर अधिकारियों को शिफ्ट ना हो. पंचायतों में सबसे ज्यादा राशि 15वे वित्त आयोग का खर्च होता है. केंद्र की तरफ से मिलने वाली इस राशि को खर्च करने का अधिकार पंचायत प्रतनिधियों को ही है. अगर राज्य में पंचायत प्रतिनिधि नहीं होंगे तो इस राशि को खर्च करने में तकनिकी रूप से दिक्कत आएगी. ऐसे में सरकार और पंचायत प्रतिनिधि दोनों ही नया रास्ता तलाशने में जुटे हैं.
इसे भी पढ़ें- 5 लाख के इनामी टीपीसी के सबजोनल कमांडर ने एसपी के समक्ष किया सरेंडर, कई मामलों में थी तलाश
मध्य प्रदेश जैसा बने नियम या हो समय पर चुनावः मुखिया संघ
राज्य मुखिया संघ के सदस्यों ने मामले को लेकर ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम से मुलाकात की है. उन्होंने विभाग के मंत्री से दो तरह की डिमांड की है. उनका पहली प्राथमिकता है कि चुनाव समय पर हो जाए. संघ के महासचिव अजय सिंह ने कहा कि अगर सरकार कोरोना संकट में चुनाव नहीं करा सकती है तो एमपी सरकार की तरह मुखिया को ही वित्तीय पावर रहने दिया जाए. दरअसल मध्यप्रदेश में भी पंचायत चुनाव नहीं हुआ है. वहां के सरकार ने पंचायत प्रतिनिधि के कार्यकाल समाप्त होने के बाद सरपंच रहे व्यक्ति को प्रशासकीय समिति का प्रधान और उपसरपंच और पंच को सदस्य नियुक्त करते हुए प्रशासकीय समिति का गठन किया है. समिति के प्रधान को वित्तीय शक्ति प्रदान की गयी है.
इसे भी पढ़ें- आंदोलनरत किसानों के साथ केंद्र सरकार की बैठक,विज्ञान भवन में जुटे किसान नेता
नहीं मानी सरकार तो हाईकोर्ट में चैलेंज करेंगेः संघ
राज्य मुखिया संघ के महासचिव अजय कुमार सिंह के अनुसार वित्त आयोग की नियमावली में पंचायती व्यवस्था को सबल करने और उसे अनुदान देकर मजबूत करने की बात है. पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने को है. अब जाकर 15वें वित्त के पैसे को खर्च करने की गाइडलाइन आयी है. हो सकता है कि पंचायतों के विदा होने के बाद सरकार प्रशासनिक पदाधिकारियों को इस पैसे को खर्च करने का पावर दे दे. राज्यभर के मुखिया इसका विरोध करेंगे. यहां तक कि इसके खिलाफ हाईकोर्ट तक का दरवाजा खटखटाना पड़े तो खटखटाएंगे.
इस वीडियो के देखें-