Jamshedpur (Dharmendra Kumar) : आदिवासी सेंगेल अभियान द्वारा बुधवार को करनडीह में विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया. इस अवसर पर अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने आदिवासी समुदाय के लोगों को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि दुनिया भर के आदिवासी नशापान, अंधविश्वास, रूढ़िवादिता, राजनीतिक कुपोषण और आपसी समन्वय की कमी से टूटते, बिखरते लड़ते-लड़ते मर रहे हैं. भारत देश में आदिवासी (एसटी) के आरक्षण कोटे से 47 लोकसभा आदिवासी सांसद और 553 आदिवासी विधायक हैं. लेकिन देश में कोई आदिवासियों की आवाज नहीं उठाता है. अब तो देश की राष्ट्रपति और मणिपुर की राज्यपाल भी आदिवासी महिलाएं हैं. लेकिन मणिपुर में आदिवासी महिलाएं खुलेआम दरिंदगी का शिकार हो रही हैं. चूंकि अब अनेक समृद्ध और अधिसंख्यक जातियों को राजनीतिक दल वोट बैंक की राजनीतिक लाभ के लिए असली आदिवासियों (संताल, मुंडा, उरांव, गोंड, भील आदि) को बलि का बकरा बना रहे हैं. आदिवासियों की दशा-दिशा की समीक्षा और भविष्य में उनकी सुरक्षा और समृद्धि के लिए एक मजबूत रोड मैप बनाने की जरूरत है. 2023 का विश्व आदिवासी दिवस झारखंड के आदिवासियों के लिए केवल नाचने गाने का अवसर ना होकर अपनी अस्तित्व, पहचान और हिस्सेदारी की रक्षार्थ हेतु एकजुट होकर संकल्प लेने का आखरी मौका है.
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झारखंड लुटाने-मिटाने का अड्डा बना
आदिवासियों के लिए झारखंड बना लेकिन शहीदों का सपना “अबुआ दिशुम अबुआ राज” आज भी लुटता-मिटता तड़प रहा है. झारखंड में अनेक राजनीतिक दल हैं, अनेक आदिवासी जन संगठन हैं, लेकिन क्या वे आदिवासी हासा, भाषा, जाति (एसटी), धर्म (सरना), रोजगार, इज्जत, आबादी, चास वास आदि बचाने की बात करते हैं? शायद नहीं बल्कि झारखंड सब के द्वारा लुटाने- मिटाने का अड्डा बनकर रह गया है. इस अवसर पर अभियान से जुड़े कई सदस्य उपस्थित थे.