New Delhi : राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को केंद्र सरकार पर एक ‘मजबूत विपक्ष’ को केंद्रीय एजेंसियों के इस्तेमाल के जरिए कमजोर करने का आरोप लगाया. यह कहते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा कि वह ‘कभी-कभार’ संसद में आते हैं और जब आते भी हैं, तो उसे ‘इवेंट’ बनाकर चले जाते हैं.
ध्यान इस बात पर है कि मजबूत विपक्ष को ईडी , सीबीआई से कमजोर कैसे करना है
देश की संसदीय यात्रा के बारे में उच्च सदन में चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल के दौरान किए गए विभिन्न कार्यों का हवाला देते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने 70 सालों में लोकतंत्र को मजबूत किया. भारत को मजबूत बनाने की नींव डाली. प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसते हुए खरगे ने नेहरू की कार्यशैली का भी जिक्र किया और कहा कि एक तरफ वह जहां सभी को साथ लेकर चलते थे, वहीं आज के प्रधानमंत्री ‘हमारी छाया’ भी नहीं देखना चाहते. आज जबकि एक मजबूत विपक्ष है, तो ध्यान इस बात पर है कि उसे ईडी , सीबीआई से कमजोर कैसे करना है. उन्हें साथ ले लेना (अपनी पार्टी में शामिल करना) और फिर वाशिंग मशीन में डालना, जब वे धुल जाते हैं तो उन्हें स्थायी बना लेना (अपनी पार्टी में).
75 सालों के दौरान देश की किस्मत बदली
खरगे ने पुराने संसद भवन का उल्लेख करते हुए कहा कि इसी भवन में 75 सालों के दौरान देश की किस्मत बदली है. देश की सूरत बदलने वाले तमाम कानून बने हैं और जमींदारी प्रथा खत्म करने, छुआछूत मिटाने, अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण के भी कानून बने हैं. उन्होंने कहा, यह भवन आजाद भारत के सभी बड़े फैसलों का गवाह है. इसी भवन में हमारी संविधान सभा 11 सत्रों में 165 दिन बैठी. संविधान बना. आजादी के बाद से 75 सालों की यात्रा में सारे महत्वपूर्ण फैसले इसी में हुए. इसमें भारतीय वास्तुकला की छाप है. इसे नफरत से नहीं देखना चाहिए. इस सदन में नेहरू जी, आंबेडकर जी और सरदार पटेल जैसे लोग बैठे थे.
बदलना है तो अब हालात बदलो
सत्ता पक्ष पर हमला करते हुए विपक्ष के नेता ने कहा, बदलना है तो अब हालात बदलो, ऐसे नाम बदलने से क्या होता है? युवाओं को रोजगार दो, सबको बेरोजगार करके क्या होता है? दिल को बड़ा करके देखो, लोगों को मारने से क्या होता है? कुछ कर नहीं सकते तो कुर्सी छोड़ दो, बात-बात में डराने से क्या होता है? अपनी हुक्मरानी पर तुम्हें गुरूर है, लोगों को डराने-धमकाने से क्या होता है?
सबसे बेहतरीन कामकाज पहली लोकसभा में हुआ
संसद और विधानसभाओं को जनता की सर्वोच्च प्रतिनिधि संस्थाएं बताते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इनके माध्यम से जन आकांक्षाओं को अभिव्यक्ति मिलती है और बदलते समय में जनता की अपेक्षाएं भी बढ़ रही हैं. उन्होंने सदनों में स्तरीय चर्चा की जोरदार वकालत भी की और कहा कि संसद का सबसे बेहतरीन कामकाज पहली लोकसभा में 1952 से 1957 के बीच को माना जाता है, जिसमें 677 बैठकर हुई 319 विधेयक पारित हुए. उन्होंने विधेयकों को बेहतर बनाने के लिए उन्हें संसद की विभिन्न समितियों में भेजे जाने के चलन में आई कमी की ओर भी सदन का ध्यान आकर्षित किया.
महिला आरक्षण विधेयक की वकालत
नेता प्रतिपक्ष ने महिला आरक्षण विधेयक संसद से पारित किए जाने की भी जोरदार वकालत की. उन्होंने कहा, यह विधेयक आना चाहिए. हम सभी की इच्छा है. आज तक हमने बहुत कोशिश की और मैं समझता हूं जब आप (धनखड़) यह मुद्दा उठाएंगे सत्ता पक्ष के समक्ष, तो आपकी बात को मान्यता दे देंगे.
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