Ranchi: झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हो चुका है. पहले दिन भाजपा ने सदन के बाहर धीरज साहू मामले को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया. धीरज साहू की गिरफ्तारी और कैश कांड की सीबीआई जांच कराने की मांग की. इसके बाद सुबह 11.07 में विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई. स्पीकर रवींद्रनाथ महतो ने प्रारंभिक वक्तव्य दिया. विधानसभा के कार्य संचालन नियमावली के तहत सभापति, कार्य मंत्रणा समिति और विशेष आमंत्रित सद्स्यों के नामों की घोषणा की. राजभवन के लौटाये गये 1932 का खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक के साथ आई राज्यपाल की टिप्पणी को भी उन्होंने हुबहू सदन के अंदर पढ़ा, जिसमें राज्यपाल ने इस विधेयक में सिर्फ फोर्थ ग्रेड की नौकरियों को आरक्षित करने का सुझाव दिया है. इसके बाद सदन में शोक प्रकाश लाया गया. स्पीकर, सीएम हेमंत सोरेन, नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी, संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम समेत अन्य दलों के विधायक दल के नेता ने शोक प्रस्ताव पढ़ा. शोक प्रकाश के बाद स्पीकर ने सदन की कार्यवाही सोमवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी.
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अटॉर्नी जेनरल से सुझाव लेने के बाद राज्यपाल ने दिया है मंतव्य
1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक के साथ भेजे गये राज्यपाल की टिप्पणी को पढ़ते हुए स्पीकर ने बताया कि राज्यपाल ने 1932 विधेयक के कुछ बिंदुओं पर विधानसभा को पुनर्विचार करने के लिए कहा है. राजभवन ने अपना सुझाव विधेयक में शामिल कानूनी प्रावधानों पर अटॉर्नी जनरल से मंतव्य लेने के बाद दिया है. राज्यपाल ने कहा है कि अटॉर्नी जनरल ने विधेयक की धारा 6 (ए) संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 162 का उल्लंघन कर सकती है. इस कारण यह अमान्य हो सकती है. अटॉर्नी जनरल की राय में राज्य सरकार की तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियां सिर्फ स्थानीय व्यक्तियों के लिए आरक्षित करने की बजाए केवल चतुर्थ श्रेणी में ऐसा करने पर विचार किया जा सकता है.
11 नवंबर 2022 को विशेष सत्र बुलाकर पारित किया गया था विधेयक
11 नवंबर 2022 को हेमंत सरकार ने विशेष सत्र बुलाकर 1932 का खतियान आधारित स्थानीय नीति पारित किया था. इसे (झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक- 2022) नाम से पारित किया गया था. विधानसभा से पारित होने के बाद विधेयक को राजभवन भेजा गया था, लेकिन जनवरी 2023 में तात्कालीन राज्यपाल रमैश बैस ने इस विधेयक को विधि राय लेने की सलाह देकर लौटा दिया था. फिर 27 जुलाई को राज्य सरकार ने राजभवन को पत्र लिखकर विधेयक को लौटाए जाने के साथ राज्यपाल का संदेश भी मांगा था.
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