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Vinit Abha Upadhyay
Ranchi : झारखंड हाईकोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव वाईके दास के काम करने पर रोक लगा दी, लेकिन कोर्ट के आदेश की परवाह किए बिना दास अपना कामकाज निपटा रहे हैं. महत्वपूर्ण फैसलों से संबंधित संचिकाओं पर धड़ल्ले से हस्ताक्षर भी कर रहे हैं. जब उनसे पूछा गया कि हाईकोर्ट ने बतौर सचिव आपके काम करने पर रोक लगा दिया है, तो दास ने तपाक से कहा- हाईकोर्ट के आदेश की एक कॉपी लाकर दीजिए न. उसके बाद जवाब देते हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या आपको हाईकोर्ट के आदेश की जानकारी है? इस पर दास ने कहा- देखिए आदेश हम खुद ही ढूंढ़ रहे हैं, हमको अभी तक नहीं मिला है. यानि दास बाबू को हाईकोर्ट के आदेश के बारे में जानकारी है, लेकिन वे आदेश की अनदेखी करते हुए बोर्ड दफ्तर में अपने चैंबर में बैठकर बड़ी तेजी से फाइलें निपटा रहे हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या आप काम कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा-यस.
हाईकोर्ट के अधिवक्ता नवीन कुमार के मुताबिक, ऐसा करना हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन है, क्योंकि जब भी किसी मामले में सुनवाई होती है, तो दोनों पक्षों के वकील अदालत में उपस्थित रहते हैं और स्वाभाविक प्रक्रिया के तहत कोर्ट के आदेश से पक्षकारों को अवगत करा दिया जाता है. लेकिन इस मामले में आदेश आने के बाद भी पद पर बने रहते हुए कामकाज निपटाना हाईकोर्ट की अवमानना के दायरे में आना चाहिए. दरअसल मंगलवार को झारखंड हाईकोर्ट ने झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव वाईके दास के विरुद्ध दाखिल रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए उनके काम करने पर रोक लगाने का आदेश दिया है. इसके साथ ही अदालत ने उनकी जगह किसी अन्य व्यक्ति को वैकल्पिक रूप से पदस्थापित करने का निर्देश दिया है. उल्लेखनीय है कि बोर्ड के सदस्य सचिव के रूप में वाईके दास की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. जिसपर हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस राजेश कुमार की बेंच में सुनवाई हुई थी.
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