- 30 वर्षों तक रामटहल चौधरी और सुबोधकांत सहाय के इर्द-गिर्द घूमती रही राजनीति
Chandil (Dilip Kumar) : रांची संसदीय निर्वाचन क्षेत्र की राजनीति वर्ष 1989 से 2014 तक हुए चुनाव में पूर्व सांसद रामटहल चौधरी और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय के ईर्द-गिर्द ही घूमती रही. इस दौरान रामटहल चौधरी पांच और सुबोधकांत सहाय तीन बार सांसद निर्वाचित हुए. सुबोधकांत सहाय एक बार जनता दल से और दो बार कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए और तीनों बार केंद्र में मंत्री बने. वहीं रामटहल चौधरी पांच बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के बावजूद एक बार भी मंत्री नहीं बनाए गए. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय वर्ष 1989, 2004 और 2009 में रांची से सांसद चुने गए थे.
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वहीं रामटहल चौधरी 1991, 1996, 1998 और 1999 में चार बार लगातार सांसद निर्वाचित हुए. वहीं उन्होंने वर्ष 2014 के चुनाव में भी दमदार जीत दर्ज किया था. इतने लंबे अरसे तक रांची की राजनीति में इन दोनों नेताओं का दबदबा बना रहा. वहीं इस बार हो रहे लोकसभा चुनाव में रांची के चुनावी मैदान से दोनों दिग्गज नेता गायब हैं. बीते चुनाव में रामटहल चौधरी ने भाजपा से अलग होकर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में किस्मत आजमाया था.
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2019 में हुई संजय सेठ की इंट्री
वर्ष 2019 में हुए संसदीय चुनाव में भाजपा ने अपना प्रत्याशी बदलते हुए रांची निर्वाचन क्षेत्र से संजय सेठ को उतारा. देश में चल रही मोदी लहर में संजय सेठ पहली बार लड़ रहे चुनाव में ही संसद भवन तक का सफर तय किए. उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता सुबोधकांत सहाय को पराजीत किया था. वहीं इस बार हो रहे संसदीय निर्वाचन में कांग्रेस ने भी अपना प्रत्याशी बदलते हुए सुबोधकांत सहाय की बेटी यशस्विनी सहाय को अपना उम्मीदवार बनाया है. पिता की विरासत संभालने चुनावी मैदान में उतरी यशस्विनी सहाय भी अपने प्रतिद्वंदी को कड़ा मुकाबला दे रही है.
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बीते चुनावों में दो ध्रुव रहने वाले परंपरागत प्रतिद्वंदी रामटहल चौधरी और सुबोधकांत सहाय इस चुनाव में एक मंच पर हैं. हालांकि दोनों इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. इसका भी लाभ याशस्विनी सहाय को मिलने की बात बताई जा रही है. वर्ष 1952 में अस्तित्व में आए रांची लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में शुरूआती दौर में रांची लोकसभा सीट पर कांग्रेस का दबदबा था. बाद में धीरे-धीरे भाजपा ने इस सीट को अपने पाले में करने में सफल रहा. बहरहाल, आसन्न लोकसभा चुनाव को लेकर क्षेत्र में सरगर्मी बढ़ गई है.
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कांग्रेस का भी बढ़ा था वोट प्रतिशत
अब रांची संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में सियासी हलचल उफान पर है. इसका कारण आने वाले कुछ हफ्तों में होने वाली चुनाव हैं. एक ओर जहां अपनी जीत पक्की करने के लिए उम्मीदवार हर संभव कोशिश कर रहे हैं. वहीं राजनीतिक दलों ने भी संगठन का प्रदर्शन बेहतर करने के लिए अलग-अलग रणनीति बनाकर उस पर काम कर रहे हैं. वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार संजय सेठ को 57 प्रतिशत वोट के साथ कुल 706510 वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार सुबोधकांत सहाय को 34.29 प्रतिशत वोट के साथ कुल 423730 वोट मिले थे. जीन का अंतर 282780 वोट था.
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देश में चल रहे मोदी लहर के बीच एक ओर जहां भाजपा का वोट बढ़ा था, वहीं मतदाताओें को अपने ओर खींचने में कांग्रेस भी सफल रही थी. इसके पूर्व वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रामटहल चौधरी ने कांग्रेस के प्रत्याशी सुबोधकांत सहाय को 199303 वोटों से पराजीत किया था. तब रामटहल चौधरी को 42.74 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 448,729 वोट मिले थे. वहीं सुबोधकांत सहाय को 23.76 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 249426 वोट मिले थे.