Ranjeet Kumar
Ranchi : कोरोना संक्रमण काल में देशभर में आम लोगों की आय के स्रोत या तो बंद हो गये हैं या कम हो गये हैं. पिछले वर्ष की तुलना में देश में बेरोजगारी बढ़ी है, लेकिन इन सब बातों से बेपरवाह राज्य के कई निजी स्कूलों ने अपनी फीस में 10 से 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी है. कई निजी स्कूल ट्यूशन फीस के अतिरिक्त बिल्डिंग चार्ज, डेवलपमेंट चार्ज, मेडिकल चार्ज, स्पोर्ट्स डे, सिक्यूरिटी चार्ज के रूप में भी भारी भरकम राशि वसूल रहे हैं, जबकि लॉकडाउन की अवधि में स्कूल पूरी तरह बंद रहे और मोबाइल के माध्यम से जैसै-तैसे क्लास हुआ. बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई और बेहतर तरीके से देने के संबंध में स्कूलों का प्रयास ना के बराबर है. अगर कोई अभिभावक फीस जमा करने में असमर्थ होता है, तो स्कूल द्वारा उनके बच्चे को ऑनलाइन क्लास से वंचित कर दिया जाता है.
इसे भी पढ़ें – 18+ लोगों के लिए राज्य को मिली कोविशिल्ड की एक लाख 99 हजार 230 डोज
आचार्यकुलम विद्यालय के प्रबंधन के रवैये से अभिभावकों में है आक्रोश
आचार्यकुलम टाटा रोड, नामकुम स्थित एक डे बोर्डिंग स्कूल है. नामांकन के समय विद्यालय की ओर से अभिभावकों से कहा गया था कि स्कूल का शुल्क 3000 प्रतिमाह है, जिसमें स्कूल की ओर से छात्रों को लाइब्रेरी, कंप्यूटर, योग, स्पोर्ट्स, म्यूजिक, स्वीमिंग के साथ-साथ दोपहर के भोजन की भी व्यवस्था है. ज्ञात हो कि पिछले वर्ष लॉकडाउन के समय से ही विद्यालय बंद है और छात्रों को विद्यालय की इन सुविधाओं का लाभ नहीं मिला. लेकिन फिर भी विद्यालय ने अभिभावकों के लाख विरोध के बाद भी विद्यालय ने 2500 रुपये प्रतिमाह फीस की वसूली की. पिछले साल झारखंड सरकार की ओर से स्कूल को सिर्फ ट्यूशन फी लेने का निर्देश दिया गया था. अभिभावकों की ओर से आचार्यकुलम से ट्यूशन फीस की जानकारी मांगी गयी, लेकिन विद्यालय की ओर से अभिभावकों को किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं दी गयी. 2021-22 सत्र में विद्यालय की ओर से जो फीस स्ट्रक्चर जारी की गयी है, उसमें अभिभावकों से एनुअल चार्ज, डेवलेपमेंट चार्ज, कंप्यूटर चार्ज, ईआरपी, लाइब्रेरी, मिस्लेनियस चार्जेज आदि की मांग की जा रही है.
इसे भी पढ़ें – लकड़ी के बक्से में बहती मिली ‘गंगा’, बॉक्स में देवी-देवताओं की तस्वीरें और कुंडली भी थी
रांची के इन स्कूलों ने भी बढ़ी फीस और अभिभावकों से लिये अतिरिक्त शुल्क
संत फ्रांसिस स्कूल, बनहौरा ने ट्यूशन फीस में 200 रुपये की वृद्धि की है. इसके अतिरिक्त इस स्कूल ने अतिरिक्त चार्ज के रूप में भी भारी भरकम राशि वसूल की है. स्कूल द्वारा फीस जमा करने में असमर्थ अभिभावकों को मैसेज कर डिफॉल्टर कहा गया है और बच्चो को ऑनलाइन क्लास से हटा दिया गया है. स्कूल के द्वारा अभिभावको से ट्यूशन फीस के अतिरिक्त एनुअल फी 1300 रुपये, एग्जाम फी 700, इंफ्रा और मेंटनेंस फी 1700 ऑडियो विजुअल के 800 आइडी कार्ड के 350 और छात्रो को मैसेज के नाम पर 250 रुपये चार्ज किया गया है.
संत माइकल प्राइमरी स्कूल, इटकी ने अप्रैल में छात्रों से ट्यूशन फी 1695 रुपये के अतिरिक्त रजिस्ट्रेशन फीस के रूप मे 1500 और एनुअल फी 3390 रुपये चार्ज किया है. शारदा ग्लोबल स्कूल में इस वर्ष वर्ग 3 से 8 तक के बच्चों की ट्यूशन फी 2400 प्रतिमाह है. वहीं विद्यालय ने अभिभावकों से टेक्नोलॉजी फीस के रूप में 3300 रुपये, एक्टिविटी के नाम पर 1400 रुपये, मेंटेनेंस 2500 रुपये, मेडिकल फीस 250, एग्जाम फीस 600 रुपये, पहचान पत्र के 400 और सिक्यूरिटी के नाम से 2000 रुपये वसूल किये हैं. संत एंथोनी स्कूल डोरंडा ने ट्यूशन फीस 2850 के अतिरिक्त एनुअल चार्ज 8000 रुपये, डेवलपमेंट फीस 5000 रुपये, स्मार्ट फी के नाम से 1500 रुपये वसूल किये हैं. इन विद्यालयों के अलावा ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल सुरेंद्रनाथ सेंटेनरी स्कूल, डीएवी ग्रुप के स्कूल, ब्रिजफोर्ड स्कूल तुपुदाना, होली फैमिली चाइल्ड स्कूल, लोयला स्कूल बूटी मोड़ ने भी अपने ट्यूशन फी में बढ़ोतरी के साथ अभिभावकों से कोरोना काल में भी मोटी रकम वसूल की है.
इसे भी पढ़ें- Success Story : योजनाओं ने बदल दी जिंदगी की तस्वीर, गरीबी खत्म, लौटी खुशहाली
झारखंड राज्य के स्कूल क्यों हैं बेलगाम, कैसे रुकेगी इनकी मनमानी
झारखंड अभिभावक संघ के अध्यक्ष अजय राय बताते हैं कि झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 झारखंड के सभी निजी विद्यालयों पर प्रभावी है और अधिनियम के कंडिका 7 (1) में स्पष्ट रूप से अंकित है कि हर स्कूल के अंदर शुल्क निर्धारण समिति का गठन अनिवार्य रूप से किया जाना है. इसमें अभिभावक के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे और उस समिति की अनुशंसा पर ही कोइ शुल्क की बढ़ोतरी की जा सकती है. उसमें भी यह प्रावधान है कि शुल्क को 2 वर्ष के अंदर 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता. इसके बाद अगर शुल्क में बढ़ोतरी की जा रही है, तो उसकी अनुशंसा जिला कमेटी के पास की जाएगी. इसके अध्यक्ष संबंधित जिले के उपायुक्त होंगे. यह कमेटी अभी तक फंक्शन में नहीं आया है, जिसका फायदा राज्य के निजी स्कूल उठा रहे हैं और मनमाने तरीके से शुल्क बढ़ा रहे हैं.
रिपोर्ट काफी अच्छी है और इसका ब्यापक प्रभाव आम लोगो से लेकर सरकार पर पड़ेगा