Ranchi: भाजपा नेता प्रो गौरव वल्लभ ने कहा कि पिछले 5 सालों में केंद्र सरकार ने झारखंड सरकार को 2.5 लाख करोड़ दिये, जिसका पूर्ण उपभोग भी झारखंड सरकार नहीं कर पायी. पिछले 5 साल कुप्रबंधन और अक्षमता के रहे हैं. वे शनिवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड के विकास को रोकने के लिए हर संभव कोशिश की है.
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4.4 लाख करोड़ राशि हस्तांतरित की गई
प्रो गौरव वल्लभ ने कहा कि मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता में आने के बाद से झारखंड राज्य की सहायता के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है, 4.4 लाख करोड़ से अधिक राशि हस्तांतरित की है. यह भारी निवेश बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा, आदिवासी और महिला कल्याण और कृषि जैसे आवश्यक क्षेत्रों की ओर निर्देशित किया गया है. वित्त वर्ष 2024-25 के लिए कुल राजस्व प्राप्तियों में से 57,301 करोड़ केंद्र सरकार से आएंगे. 2019-20 से केंद्र ने राज्य के लिए कुल राजस्व प्राप्तियों में 51-56% का योगदान दिया है.
रेलवे और राजमार्ग विकास के लिए भी मिली राशि
2014-15 से 2024-25 के बीच लगभग एक दशक में मोदी सरकार ने झारखंड में रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के लिए 37,972 करोड़ रुपये दिए हैं. इसके अलावा, 2014-15 से 2023-24 के बीच केंद्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रीय राजमार्ग विकास पर 16,922.61 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. पिछले एक दशक में जनजातीय कार्य मंत्रालय ने झारखंड को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 275 (1) के तहत 916.89 करोड़ रुपये दिए गए. झारखंड सरकार को जनजातीय योजना के लिए 760.23 करोड़ की खास केंद्रीय मदद भी दी गई है.
लोन और जीएसटी मुआवजा भी मिला
2014 में सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार ने झारखंड सरकार को 28,682.55 करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन और 9,374 करोड़ रुपये का जीएसटी मुआवजा दिया. जल जीवन मिशन के लिए 10,868.09 करोड़ रुपये दिए हैं. लेकिन सरकार द्वारा अब तक केवल 5,775 करोड़ रुपये का ही उपयोग किया गया है. समग्र शिक्षा अभियान’ के तहत आवंटित 4,327.09 करोड़ रुपये में से केवल 2,307.33 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए हैं. हेमंत सरकार ने ‘प्रतिष्ठित पर्यटन केंद्रों के विकास’ के लिए आवेदन ही नहीं किया, जबकि इसके लिए 1,000 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया था. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत, केंद्र सरकार ने झारखंड को 85.7 करोड़ रुपये आवंटित किए, लेकिन झारखंड सरकार ने इस राशि में से केवल 48 करोड़ रुपये ही इस्तेमाल किए.
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