Ranchi: दिन 23 नवंबर. समय करीब 12 बजे दोपहर. लगातार न्यूज नेटवर्क के दो संवाददाता कांके रिंड के पास रिवर व्यू प्रोजेक्ट का जायजा लेने पहुंचे. पहले दोनों संवाददाता पैदल काफी दूरी तय करके पीछे के रास्ते रिवर व्यू प्रोजेक्ट के अंदर पहुंचे. वहां पहुंचने पर दिखा कि एक जेसीबी और एक पोकलेन नदी को भर मिट्टी समतलीकरण का काम कर रहे थे. दोनों रिपोर्टरों ने समतलीकरण करते हुए जेसीबी और पोकलेन की तस्वीर उतारी.इसके बाद वहां मौजूद जेसीबी चलाने वाले स्टाफ से कुछ पूछताछ की. वहां से फिर पीछे के ही रास्ते रिंग रोड पहुंचे और अपनी गाड़ी से इस बार रिवर व्यू के गेट पर पहुंचे. वहां पहुंच कर रिपोर्टर्स ने वहां के केयरटेकर से बातचीत कर जमीन खरीदने की इच्छा जतायी. केयरटेकर ने सारी जानकारी दी और कहा कि आपको जमीन 5.5 लाख रुपये प्रति डिसमिल दी जाएगी.
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24 नवंबर को कागजों की पड़ताल करने के बाद 25 नवंबर को सबसे पहले लगातार न्यूज नेटवर्क ने यह खबर प्रकाशित की. शीर्षक थी “जुमार नदी को भरकर बेचने की तैयारी में जमीन माफिया, प्रशासन बेखबर”. खबर का असर हुआ. रांची डीसी के आदेश पर जांच हुई और प्रशासन ने माना कि हमारी खबर पुख्ता है. 27 नवंबर को कांके सीआई की तरफ से कांके थाना में रिवर व्यू के प्रोप्राइटर कमलेश कुमार के नाम पर एफआइआर दर्ज हुई. दर्ज एफआइआर में साफ तौर से लगातार में छपी खबर का उल्लेख भी किया गया.
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क्रेडिट ले रहा एक दैनिक अखबार
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सबसे पहले लगातार न्यूज नेटवर्क के संवाददाता स्पॉट पर पहुंचे. जानकारी हासिल कर खबर प्रकाशित की. खबर के आधार पर एफआइआर हुआ. दर्ज एफआइआर में लगातार न्यूज नेटवर्क का उल्लेख किया गया. बावजूद इसके दैनिक अखबार ‘दैनिक जागरण’ लगातार यह छाप रहा है कि उन्होंने सबसे पहले इस खबर को प्रकाशित किया. उनकी ही खबर पर थाने में मामला दर्ज कराया गया. जबकि सच्चाई यह है कि दैनिक जागरण में 30 नवंबर को रिवर व्यू प्रोजेक्ट को लेकर खबर छपी. हां इतना जरूर है कि इसके बाद से दैनिक जागरण ने खबर को फॉलो किया और अपडेट छापी,लेकिन सिरे से मामले के पर्दाफाश का पूरा क्रेडिट ले लेना पत्रकारिता के आदर्शों के अनुकूल नहीं माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि जब लगातार न्यूज नेटवर्क की खबर पर प्रशासन कार्रवाई कर रहा है, तो ऐसे में दैनिक जागरण को भी खबर की क्रेडिट लगातार न्यूज पोर्टल को ही देनी चाहिए. झूठ बोलकर क्रेडिट लेना कहीं से जायज नहीं है.
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