Pravin kumar
Ranchi : अंचल कार्यलाय के गठजोड़ से रांची में जमीन की हेराफेरी करने की पृष्ठभूमि तैयार करने का मामला समाने आया है. जहां भूमि से संबंधित पंजी टू में छेड़छाड़ कर आदिवासी रैयतों को बेदखल कर गैर आदिवासियों के नाम पर जमाबंदी का आदेश परित किया गया. एक ही भूमि को लेकर अंचल कार्यालय से लेकर अपर समाहर्ता के न्यायालय में अलग- अलग आदेश निर्गत किया जाता है. जिसमें आदिवासी रैयत को इस आधार पर खारिज किया जाता है कि उसके पास भूमि का कोई दस्तावेज नहीं है. मामले में अंतत: फर्जी एम फार्म के आधार पर अपर समाहर्ता न्यायालय रांची के द्वारा चौथे पक्ष को फौसला सुनाया जाता है.
पारसनाथ पांडेय के आवेदन पर अपर समाहर्ता के न्यायालय में विविध वाद संख्या 03/20—21 खोला जाता है. इसमें तत्कालीन अंचल अधिकारी राजेश कुमार मिश्रा के म्यूटेशन का आदेश के खिलाफ अपील की जाती है. विपक्षी सतीश कुमार सिंह को नोटिस किया जाता है. ज्ञात हो कि उक्त भूमि को सतीश कुमार सिंह द्वारा पिता का नाम बदल कर जमीन बेच दी गयी थी. अंचल अधिकारी राजेश कुमार मिश्रा ने सतीश कुमार सिंह के नाम म्यूटेशन किया था. अपर समहर्ता न्यायालय में विविध वाद संख्या 03/20—21 में एक चौथा पक्ष हस्तक्षेपी के रूप में भूमि पर दावेदारी करने के लिए आता है. हस्तक्षेपी के रूप में संदीप सिंह पिता रामलखन सिंह एवं अन्य, अमर सिंह पिता स्वर्गीय अर्जुन सिंह के नाम अपर समाहर्ता के न्यायालय द्वारा म्यूटेशन आदेश निर्गत किया जाता है. मामला बेंलांगी मौजा के थाना नंबर 84, खाता नंबर 12 की भूमि का कुल रकबा 6.79 एकड़ से जुड़ा है, जो रातू अंचल में स्थित है. इस जमीन से पहले आदिवासी रैयत थियोदर पन्ना को पंजी टू में छेड़छाड़ करते हुए बेदखल कर दिया जाता है.
आदिवासी रैयत को भूमि से बेदखल करने का खेल सीओ अमर कुमार के कार्यकाल में हुआ
बेंलांगी मौजा के थाना नंबर 84, खाता नंबर 12 की भूमि का कुल रकबा 6.79 एकड़ से आदिवासी रैयत को बेदखल करने का खेल तत्कालीन अंचलाधिकारी अमर प्रसाद के कार्यकाल में होता है. उसी दौरान उक्त भूमि से संबंधित पंजी टू की पृष्ठ संख्या 13 व पृष्ठ संख्या 75 में छेड़छाड़ कर गैर आदिवासियों का नाम दर्ज किया जाता है. इस संबंध में राजस्व उपनिरीक्षक ने भी अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया था. लेकिन अंचल द्वारा इस तथ्य को नजरअंदज करते हुए कमल नाथ पांडेय के नाम पर जमाबंदी कर दी जाती है. इसके उपंरात बेलांगी मौजा की 6.79 एकड़ जमीन को बेचनेवाले ने अपने बाप का नाम बदल कर जमीन अन्य लोगों को बेच दी. जबकि जिसके नाम पर जमाबंदी कायम थी, उनके वंशजों ने 2019 में यह जमीन बेची. म्यूटेशन के लिए आवेदन किया गया, तो म्यूटेशन रिजेक्ट कर दिया गया. इसके बाद जमीन दलालों से मिलकर अंचल अधिकारी रातू एवं लहना पंचायत के मुखिया ने गलत वंशावली सत्यापन कर उसी जमीन का दूसरे व्यक्ति के नाम जुलाई 2020 में निबंधन करा दिया. इस पर अंचल कार्यालय में साक्ष्य के साथ आपत्ति दर्ज करायी गयी. इसके बावजूद रातू के तत्कालीन अंचल अधिकारी राजेश कुमार मिश्रा ने म्यूटेशन का आदेश निर्गत कर दिया.
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मामला पहुंचा एसी कोर्ट में, जहां फर्जी एम फार्म के आधार पर हुआ जजमेंट
उपरोक्त मामला अपर समाहर्ता न्यायालय रांची पहुंचा, जहां फर्जी एम फर्म के आधार पर इंटरवेनर संदीप सिंह पिता स्वर्गीय राम लगाम सिंह तथा अमर सिंह पिता स्वर्गीय अर्जुन सिंह ग्राम मुरगू थाना रातू जिला रांची के पूर्वज अजय राज कुमारी पति नाथ राम तिवारी के नाम पर 7.85 डिसमिल की जमाबंदी कायम करने का आदेश एसी रांची के द्वारा किया जाता है. अपने आदेश में अपर समाहर्ता भूमि का लगान 1955-56 से देने का आदेश निर्गत करते हैं. अपर समाहर्ता न्यायालय रांची द्वारा विविध वाद संख्या एक /2020 में अंचलाधिकारी रातू रांची द्वारा पारित आदेश दिनांक 22 जुलाई 2020 को निरस्त करते हुए एक चौथे व्यक्ति वाद में इनटरवेनर है, उनके पक्ष में फैसला सुनाया जाता है.
क्या है एम फॉर्म
बिहार भूमि सुधार अधिनियम 1950 की धारा 5,6,7 के अनुसार जमीदारों को अपने पास उपलब्ध भूमि की सूची जिले के कलेक्टर को सौपनी थी. उक्त भूमि में से कलेक्टर के द्वारा एक तय सीमा तक भूमि संबंधित जमीदारों को लगान निर्धारित कर वापस कर कर दिया गया. जमीदारों की शेष भूमि सरकारी भूमि में मर्ज हो गई. जिस विवरणी में जमीदारों को कलेक्टर के द्वारा लगान निर्धारण कर भूमि दिया गया, उसे एम फॉर्म कहते हैं. इसके बाद जमींदार रैयत के रूप में उक्त भूमि का उपयोग करने के योग्य हो जाते थे. लगान निर्धारण के बाद ऐसी भूमि का लगान सरकार वसूलती रही है.
क्या कहते हैं अपर समाहर्ता रांची राजेश बरवार
इस मामले को मैं देख कर बताऊंगा, अगर तथ्यों में किसी तरह की चूक हुई है तो संबंधित पक्ष को अपील में जाना होगा.
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