Ranchi: झारखंड में केंद्र की तरफ से दी जाने वाली प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप की जांच एसीबी करेगा. सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कल्याण विभाग को आवश्यक निर्देश दिया है. सीएम के निर्देश पर विभाग ने एसीबी से जांच कराने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है. इसे मुख्य सचिव के पास भेज दिया गया. मुख्यमंत्री से अनुमोदन के बाद एसीबी से जांच पर मुहर लग जायेगी. मीडिया में लगातार चार दिनों से प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाले को लेकर खबर छप रही है.
झारखंड में सबसे पहले लगातार न्यूज नेटर्वक की तरफ से इस खबर को सामने लाया गया था. राज्य के कई जिलों में देखा गया कि केंद्र सरकार की दी जाने वाली प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप में घोटाला हो रहा है. बिचौलियों ने बैंक कर्मी और स्कूल प्रबंधन के साथ मिलकर पूरे खेल को अंजाम दिया. स्कॉलरशिप के लिए बच्चों के आधार और फिंगर प्रिंट का इस्तेमाल तो होता था. लेकिन रकम किसी और के अकाउंट में आते थे. एक नवंबर को सीएम हेमंत सोरेन ने दुमका में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए मामले की जांच कराने की बात कही थी.
मंत्री लुईस मरांडी और हिमानी पांडे थी सचिव
केंद्र की तरफ से 2019-20 के लिए प्री मैट्रिक के गरीब और अल्पसंख्यक बच्चों के लिए 61 करोड़ की राशि केंद्र सरकार की तरफ से भेजी गयी. उस वक्त विभाग की मंत्री लुईस मरांडी थी और सचिव हिमानी पांडे थी. हिमानी पांडे फिलहाल योजना एवं वित्त विभाग में सचिव हैं.
स्कॉलरशिप घोटाले का सारा खेल इन्हीं के कार्यकाल में हुआ. लेकिन इसकी भनक तक विभाग को नहीं हुई. मीडिया में खबर आने के बाद इतने बड़े घोटाला का खुलासा हुआ.
क्या है छात्रवृत्ति की योजना
2008 में केंद्र की यूपीए सरकार ने एक योजना शुरू की थी. इसके तहत ऐसे अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चे जो पढ़ाई करना चाहते हैं, उन्हें छात्रवृत्ति देकर पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करना था. इसमें मुस्लिम, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म मानने वाले शामिल थे. इस योजना के लिए 2019-20 में केंद्र के अल्पसंख्यक मंत्रालय ने 1400 करोड़ रुपये भुगतान किया था.
झारखंड के हिस्से में 61 करोड़ रुपये आया था. केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक, यह राशि दसवीं तक पढ़ने वाले अल्पसंख्यक बच्चों को दी जानी है. बच्चे ऐसे परिवार से होने चाहिए, जिनकी सालाना आमदनी एक लाख से कम हो. ध्यान यह रखा जाना चाहिए कि छात्रवृत्ति ऐसे बच्चे को मिले जो परीक्षा में कम से कम पचास फीसदी अंक ला सके.
कक्षा एक से पांच तक पढ़ने वाले बच्चे को सालाना एक हजार रुपए और कक्षा छह से दसवीं तक पढ़ाई करने वाले बच्चों को 5700 रुपये दिये जाने का प्रावधान है. अगर बच्चा हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहा है तो उसे 10,700 रुपये मिलेंगे. लेकिन झारखंड में यह राशि जरूरतमंद बच्चों के खाते में जाने के बजाय किसी और के खाते में जा रहे हैं. ज्यादातर गड़बड़ियां सीनियर बच्चों को दी जानी वाली छात्रवृत्ति में की गयी है.