Adityapur : सरायकेला-खरसावां जिले के सभी मुख्य सड़कों पर 2021 से अब तक हुए हादसे और इसमें मरने वालों के आंकड़े चिंता जनक हैं. प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि जिले में सड़क सुरक्षा के नाम पर केवल खाना पूर्ति हो रही है. विदित हो कि जिले के स्टेट हाईवे में चौका-कांड्रा, सरायकेला-टाटा मार्ग, सरायकेला-चाईबासा मार्ग, सरायकेला-खरसावां मार्ग और राजनगर मेन रोड भी शामिल हैं. मालूम हो कि इन पर जनवरी 2021 से अब तक रिकॉर्डेड 222 सड़क हादसे हुए हैं, जिनमें 180 लोगों की मौतें हो चुकी है. इसके बाद भी आए दिन सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की जान जा रही है. इससे पहले भी खासकर, टाटा-कांड्रा-सरायकेला और चौका-कांड्रा-सरायकेला रोड पर हाल के महीनों में कई हादसे हुए हैं, जिसमें लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. इस लिहाज से 15 महीने में जिले में मरने वालों की संख्या लगभग 200 के करीब पहुंच गया है. हालांकि, सड़क पर बेतरतीब ढ़ंग से चलती छोटी-बड़ी गाड़ियों की संख्या और ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार नहीं होने की वजह से आगे भी हादसों का खतरा बना है.
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सड़क बनने के बाद भी कम नहीं हुये हादसे
विदित हो कि पहले सरायकेला-कांड्रा मार्ग जर्जर अवस्था में थी. उस दौरान भी आए दिन सड़क दुर्घटनाएं होती थी, जिसमें कइयों की जान जाती थी. कई लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते थे. लेकिन उस दौरान दुर्घटनाओं के लिए जर्जर सड़क को ही जिम्मेदार ठहाराया जाता था. हालांकि, बाद में आदित्यपुर की सामाजिक संस्था जन कल्याण मोर्चा के बैनर तले स्थानीय लोगों द्वारा लंबे समय तक आंदोलन किया. यहां तक कि कानूनी लड़ाई भी लड़ी गई, जिसके बाद आदित्यपुर-टाटा-कांड्रा फोरलेन सड़क का निर्माण किया गया. बावजूद इसके जिले में सड़क दुर्घटनाओं में कमी नहीं आई है. वहीं, जन कल्याण मोर्चा अध्यक्ष व सरायकेला जिला बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अधिवक्ता ओम प्रकाश ने कहा कि सड़क हादसे और मरने वालों के आंकड़े डरावने हैं. जिला प्रशासन को इसे गंभीरता से लेते हुए सड़क सुरक्षा जागरुकता कार्यक्रम के साथ आवश्यक कदम उठाने चाहिए.
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मेन रोड पर बेतरतीब ढ़ंग से वाहन खड़ा करना भी भारी परेशानी का कारण
मालूम हो कि सड़क किनारे बने होटलों और ढ़ाबों के सामने लाइन से भारी वाहन खड़े कर दिये जाते हैं, जो दोपहिया और चारपहिया वाहन चालकों के लिए बेहद घातक साबित हो रहा है. वहीं, आंकड़ों की बात करें तो जिले की सड़कों पर खड़े वाहनों में ठोकर मारने से बीते 16 महीने में 98 लोगों की मौत हो चुकी है. गौरतलब है कि इस तरह की अधिकांश दुर्घटनाएं टाटा-कांड्रा, सरायकेला-चाईबासा मार्ग के अलावा सरायकेला-कांड्रा, चौका-कांड्रा और राजनगर-हाता रोड पर हुई है. हालांकि, इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जिला प्रशासन लगातार प्रयास कर रही है. यहां तक कि ट्रैफिक पुलिस और सड़क सुरक्षा समिति भी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रयासरत है. उल्लेखनीय है कि इसे लेकर जिलेभर में 32 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किये गए हैं, ताकि लोग वाहन चलाते वक्त सतर्क रहें. फिर भी सड़क हादसों पर अंकुश न लगना कहीं न कहीं साबित करता है कि जिला प्रशासन के अब तक के सारे उपाय नाकाफी साबित हो रहे हैं.
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