NewDelhi : केंद्र की मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में राजद्रोह कानून की वैधता के मामले में हलफनामा दायर कर इस कानून की हिमायत की है. बता दें कि इस कानून को याचिका दायर कर चुनौती दी गयी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के क्रम में केंद्र सरकार से जवाब तलब किया था. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा कि इस अच्छे कानून पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं है.
इसे भी पढ़ें : हिमाचल विधानसभा के मुख्य द्वार पर खालिस्तान के झंडे, हड़कंप, सिख फॉर जस्टिस ने दी थी धमकी
केदारनाथ बनाम बिहार सरकार मामले में फैसला बहुआयामी
केंद्र सरकार ने कहा कि केदारनाथ बनाम बिहार सरकार मामले में फैसला बहुआयामी है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ से 1962 में आये केदार नाथ बनाम बिहार सरकार मामले में फैसला मुद्दे के गहन विश्लेषण और परीक्षण के बाद दिया गया था. सरकार द्वारा यह कहा गया है कि इसकी पुष्टि बाद के कई फैसलों में हुई. कहा कि अब तक उस फैसले की नजीर दी जाती है.
इसे भी पढ़ें : राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण रिपोर्ट : भारत में 30 प्रतिशत महिलाएं शारीरिक और यौन हिंसा की शिकार
तीन जजों की बेंच आगे सुनवाई नहीं कर सकती है.
केंद्र सरकार ने कहा कि चौतरफा असरदार इस अच्छे कानून पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं है. सरकार की ओर से कहा गया कि जो सवाल उठाये गये हैं, उन पर तीन जजों की बेंच आगे सुनवाई नहीं कर सकती है. यह मामला बड़ी बेंच के पास जाना चाहिए. केंद्र सरकार ने यह भी कह कि आईपीसी की इस धारा में जिन कानूनी प्रावधानों का वर्णन किया गया है, उनको चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज किया जाना चाहिए.
10 मई को CJI एनवी रमना की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी
सरकार द्वारा कहा गया कि कभी भी संविधान पीठ के बाध्यकारी फैसले पर पुनर्विचार करने का औचित्य नहीं होगा. फिर भी अगर तीन जजों की बेंच इन दलीलों से संतुष्ट नहीं है तो वो इस मामले की सुनवाई बड़ी बेंच से करवाने की सिफारिश कर सकती है. खबर है कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की ओर से लिखित दलीलें दाखिल कर दी गयी हैं.
अब इस मामले में मंगलवार, 10 मई को दोपहर बाद 2 बजे से CJI एनवी रमना की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी. केंद्र सरकार 9 मई तक इस मामले के बाकी पक्षकारों की लिखित दलीलों पर भी अपना जवाब दाखिल करेगी.