Adityapur : आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया की कभी बड़ी समूह में गिनी जाने वाली जेएमटी कंपनी ऑफ ग्रुप की माली हालत खराब है. कंपनी पर बैंकों का काफी ऋण बकाया है. वहीं कामगारों के वेतन व जमा बोनस का विवाद एनसीएलटी में विचाराधीन है. इधर कंपनी में काम करने वाले करीब 800 मजदूरों को पिछले 5 महीने से वेतन नहीं मिल रहा है. थक हार कर मजदूरों ने कंपनी परिसर में ही धरना शुरू कर दिया है. एक समय था जब जेएमटी ग्रुप में काम करने के लिए लोग लालायित रहते थे. बड़े-बड़े नेता, मंत्री, विधायक और ब्यूरोक्रेट्स यहां अपने लोगों को नौकरी पर रखने की पैरवी करते थे. आज कंपनी के कामगार और मजदूर भुखमरी के कगार पर हैं. धरना पर बैठे मजदूरों ने बताया कि उन्हें ना तो वेतन मिला है, ना पीएफ-ईएसआईसी का लाभ मिल रहा है. हताश निराश मजदूर बेबस होकर कंपनी परिसर में धरने पर बैठ गए हैं. मजदूरों का कहना है कि पिछले 15 महीने से उन्हें पीएफ और ईएसआईसी भी नहीं मिल रहा है. आलम यह है कि मजदूर दाने- दाने को मोहताज हो चुके हैं. बाहर से यहां आकर किराए पर रहकर नौकरी करने वाले कामगारों को मकान मालिकों ने घरों से निकाल दिया है.
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खुद को दीवालिया घोषित कर चुकी है प्रबंधन
वहीं प्रबंधन खुदको दीवालिया घोषित कर चुकी है. प्रबंधन के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रबंधन और मजदूर का विवाद एनसीएलटी में चला गया है. वहां से फैसला आने के बाद ही मजदूरों को उनका वेतन और भत्ता मिल सकेगा. अब सवाल यह उठता है कि आखिर जब 5 महीने से मजदूरों को वेतन नहीं मिल रहा है, तो मजदूर यहां काम क्यों कर रहे हैं. जवाब में मजदूरों ने बताया कि सीईओ एसएन शुक्ला और एचआर हेड अभय कुमार सिन्हा द्वारा हर बार कामगारों को गुमराह किया जाता है और प्रबंधन के साथ वार्ता नहीं करने दी जाती है. कामगारों ने बताया कि प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ डीएलसी में शिकायत की गई थी. वहां से डीएलसी द्वारा प्रबंधन तो तलब किया गया, मगर प्रबंधन ने यूनियन को नहीं मानने का हवाला देते हुए डीएलसी कार्यालय में स्पष्टीकरण देना जरूरी नहीं समझा.
प्रबंधन हर बार अपने वादे से मुकर गया
इस बीच प्रबंधन ने यूनियन के साथ वार्ता कर बीच का रास्ता निकालते हुए 31 जनवरी तक वेतन देने का भरोसा दिलाया, मगर 31 जनवरी को भी प्रबंधन ने वेतन नहीं दिया. फिर से वार्ता में तय हुआ कि 8 फरवरी को 8000 रुपए सभी के अकाउंट में दे दिए जाएंगे, ताकि काम बाधित ना हो. साथ ही भरोसा दिलाया गया कि 15 फरवरी तक बकाया वेतन का भुगतान कर दिया जाएगा. मगर प्रबंधन अपने वादे से मुकर गई. नतीजा यह हुआ कि कामगार आज पुनः वेतन की मांग को लेकर प्रबंधन के साथ वार्ता करने पहुंचे, मगर प्रबंधन ने एनसीएलटी में जाने की बात कहते हुए पल्ला झाड़ लिया और वार्ता करने से इंकार कर दिया. इसके बाद मजदूर पुनः धरना पर बैठ गए हैं. धरने पर बैठे मजदूरों ने बताया कि इस उम्मीद के सहारे यहां काम कर रहे हैं कि आज कंपनी की स्थिति ठीक हो जाएगी, कल कंपनी की स्थिति ठीक हो जाएगी, मगर ठीक होने के बजाय उल्टा कंपनी की स्थिति दिन पर दिन दयनीय होती चली जा रही है.
सरकार, प्रशासन और उद्योग विभाग चुप
सरकार और प्रशासन यहां तक कि उद्योग विभाग भी इस मामले में चुप्पी साधे रखी है. कामगारों ने बताया कि उन्हें आज प्रबंधन की ओर से भरोसा दिलाया गया था कि वेतन दिया जाएगा मगर वेतन देना तो दूर प्रबंधन की ओर से कोई पूछने तक नहीं आया, इसलिए हताश होकर धरने पर बैठ गए हैं. वहीं मजदूरों ने ऐलान कर दिया कि जब तक बकाया वेतन और भत्तों का भुगतान नहीं होगा, वे काम पर नहीं लौटेंगे. बताया जा रहा है कि 409 मजदूर ऐसे हैं जो नियमित हैं. वहीं करीब 400 मजदूर ठेका कर्मी हैं. इस संबंध में कंपनी प्रबंधन से जब मीडिया कर्मियों ने पक्ष जानना चाहा तो प्रबंधन ने किसी भी तरह की बात नहीं करने की खबर भेजवा दी.