Adityapur (Sanjeev Mehta) : कोल्हान का आदित्यपुर स्थित एकमात्र कर्मचारी राज्य बीमा निगम का (ईएसआईसी) अस्पताल में सेकेंड्री स्वास्थ्य सेवाओं का रेफरल फरवरी 2020 से बंद है. इससे इंश्योर्ड पर्सन मरीजों को परेशानी हो रही है. पिछले दिनों जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो ने सेकेंड्री स्वास्थ्य सेवाओं का रेफरल शुरू कराने का आश्वासन दिया था, लेकिन उनका भी आश्वासन कोरा साबित हुआ है. बता दें कि कर्मचारी राज्य बीमा अस्पताल ईएसआईसी में एक फरवरी 2020 से सेकेंड्री स्वास्थ्य सेवाएं बंद हो चुकी हैं. इससे सेकेंड्री स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा टाइअप अस्पतालों में नहीं मिल रही है. चूंकि ईएसआईसी ने नियमों में तब्दीली करते हुए देश के सारे ईएसआईसी अस्पतालों से टाइअप अस्पतालों में सेकेंड्री स्वास्थ्य सेवाओं के रेफर पर रोक लगा दी है. ऐसे में यहां भर्ती होने के लिए आने वाले मरीजों को अब अपने खुद के पैसे से इलाज कराने का आग्रह किया जा रहा है. चूंकि यहां के बेड ओवरफ्लो हैं. कोल्हान के एकमात्र मजदूरों का अस्पताल से रेफरल बंद होने से यहां स्वास्थ्य सेवाओं की विकट स्थिति पैदा हो गई है. बता दें कि यहां करीब दो लाख आईपी हैं (इंश्योर्ड पर्सन) जिनसे जितनी राशि ईएसआईसी को अंशदान के रुप में मिलती है, उतनी खर्च भी नहीं होती है. ऐसे में यहां का रेफरल बंद होने से कामगार मजदूरों को भारी परेशानी हो रही है. वर्तमान में यहां 100 बेड के नए अस्पताल में भर्ती लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन उसमें सुविधाएं अभी पुरानी 50 बेड वाली ही है. यहां प्रतिदिन 800 से 1000 लोग ओपीडी में आते हैं. यहां स्टाफ की भी कमी है, जिससे ऑपरेशन और महिलाओं की प्रसूति सेवा और डिलीवरी सेवा निर्धारित समय सुबह 9 से शाम 4 बजे तक ही चलती है.
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क्या है सेकेंड्री स्वास्थ्य सेवाएं
सेकेंड्री स्वास्थ्य सेवाओं में हर्ट, किडनी, कैंसर राेग एवं ब्रेन के इलाज को छोड़ सारी स्वास्थ्य सेवाएं आती हैं. मसलन हड्डी रोग, गायनिक, छोटे-मोटे ऑपरेशन, नेत्र रोग, शिशु संबंधी रोग आदि सभी सेकेंड्री स्वास्थ्य सेवाओं की श्रेणी में ही आते हैं. जिन्हें अभी ईएसआईसी को अपने अस्पताल में ही मैनेज करना पड़ रहा है.
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हर माह 500 मरीज किये जाते थे रेफर
सेकेंड्री स्वास्थ्य सेवाओं के तकरीबन 500 मरीजों को हर माह टाइअप अस्पतालों में रेफर किया जाता था, जिसे बंद कर दिया गया है. यहां 2 लाख के करीब बीमित व्यक्तियों की संख्या है, जिनके करीब 700 परिजन ओपीडी में हर दिन स्वास्थ्य जांच कराने आते हैं. इनमें औसतन 20 से 25 मरीज रोज भर्ती के लायक होते हैं. उन्हें बेड के अभाव में टाइअप अस्पतालों में रेफर किए जाता है. ईएसआईसी में अभी महज 100 बेड हैं. यहां भर्ती होने वाले मरीजों को ऑपरेशन के लिए तीन माह तक इंतजार करना पड़ता है. चूंकि यहां सप्ताह में दो दिन ही ऑपरेशन थियेटर में ऑपरेशन होते हैं. ऐसे में टाइअप अस्पतालों में रेफर पर रोक से बीमित व्यक्तियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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दवाओं की कमी से जूझ रहे हैं इंश्योर्ड पर्सन
करीब 6 महीने से ईएसआईसी अस्पताल में दवाओं की भी कमी है. शुगर, बीपी जैसे जरूरी दवाओं की भारी कमी है. दवा नहीं होने पर मरीजों को बाहर से खरीदने को कहा जाता है, जिसे डिस्पेंसरी से अप्रूवल के बाद खरीदनी पड़ती है अन्यथा दवा के पैसे इंश्योर्ड पर्सन को नहीं मिलेंगे. अगर अप्रूवल कराकर दवा खरीद भी लिए तो पैसे वापस लेने के लिए वर्षों लग जाते हैं. मरीजों को दवा के पैसे वापस लेने के लिए कागजी कार्रवाई के नाम पर परेशान किया जाता है.
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अंशदान राजस्व ज्यादा किंतु सुविधाएं नदारद
ईएसआईसी अस्पताल आदित्यपुर के अधीन करीब 2 लाख बीमित व्यक्ति हैं, जिनसे प्रतिवर्ष अनुमानतः 80 करोड़ रुपए अंशदान मिलता है. एक अनुमान के अनुसार यहां के बीमितों एवं संसाधन पर 30 से 35 करोड़ रुपए खर्च होते हैं. ऐसे में जितना अंशदान से सरकार को राजस्व भेजा जाता है उतनी सुविधाएं यहां के बीमितों को नहीं मिल पा रही है. वर्तमान में चार ही अस्पतालों से सेकेंड्री स्वास्थ्य सेवाएं के लिए टाइअप है जिनमें नेत्र रोगियों के लिए तीन आईएसजी, पूर्णिमा नेत्रालय एवं संजीव नेत्रालय जबकि अन्य बीमारियों के लिए रेफरल अब बंद हो चुका है.
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अस्पताल की वर्तमान स्थिति
ईएसआईसी में वर्तमान में 100 बेड हैं. इनमें ही महिला व पुरुष के साथ शिशु व आकस्मिक विभाग में आने वाले मरीजों को भर्ती लिया जाता है. तैयार 100 बेड के अस्पताल में भर्ती तो शुरू हो गई है, लेकिन सुविधाएं 50 बेड के बराबर ही है. ऐसे में सेकेंड्री स्वास्थ्य सेवाओं का रेफरल बंद होने से प्रबंधन को बड़ी परेशानी हो रही है. नेत्र रोगियों के लिए एक साल पूर्व सर्जरी एवं जांच के लिए इंस्ट्रूमेंट का प्रस्ताव भेजा गया लेकिन अब तक उपलब्ध नहीं कराया गया है.
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रेफरल के लिए प्रयासरत हूं : मिंज
सेकेंड्री स्वास्थ्य सेवाओं का रेफरल के लिए प्रयासरत हूं. आदेश मिलने की संभावना है. बीमित मरीजों को हो रही परेशानी के लिए खेद है. हमारा 100 बेड का वातानुकूलित अस्पताल भी मार्च 2022 से शुरू हो गया है. लेकिन सुविधाएं नहीं बढ़ी है, दवाओं का बजट भी कम कर दिया गया है. इसके लिए पत्राचार किया जा रहा है.
एमके मिंज, अस्पताल अधीक्षक, ईएसआईसी आदित्यपुर.