Adityapur (Sanjeev Mehta) : झारखंड सरकार ने 2012 में बने पुनर्वास नीति को 2027 तक एक्सटेंशन दे दिया है. अब पुनर्वास नीति को एक्सटेंशन मिलने से 2026 तक सुवर्णरेखा परियोजना के सभी कार्य पटरी पर लौट रहे हैं. जानकारी देते हुए मुख्य अभियंता अशोक कुमार दास ने बताया कि 2022 के मार्च में पुनर्वास नीति की मियाद समाप्त हो जाने से परियोजना के महत्वपूर्ण कार्य को ब्रेक लग गया था, जबकि परियोजना को भी 2026 तक पूरा करने का एक्सटेंशन मिल चुका है. अब परियोजना के साथ पुनर्वास नीति को भी एक्सटेंशन मिलने से सभी कार्य सुचारू रूप से चलेंगे.
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पुनर्वास कार्य अप्रैल 2022 से पड़े है ठप
.उन्होंने बताया कि फिलहाल पुनर्वास और एसएमपी के विस्थापितों को मुआवजा देने के लिए 60 करोड़ रुपए का फंड उपलब्ध है लेकिन हमें इसके लिए और भी पैसे की जरूरत पड़ेगी, जिसका प्रस्ताव भेजा जा रहा है. बता दें कि बहुद्देश्यीय सुवर्णरेखा परियोजना समेत राज्य के सभी योजनाओं में पुनर्वास कार्य अप्रैल 2022 से ठप पड़े थे, जिसके वजह से विकास कार्य अवरुद्ध था. उन्होंने बताया कि एसएमपी में पुनर्वास और मुआवजा देने के लिए पैसे की कमी नहीं है, इस मद में 60 करोड़ का फंड उपलब्ध है. उन्होंने बताया कि राज्य में पुनर्वास नीति 2012 में बनी थी जिसकी अवधि 2017 में समाप्त हो गई थी, तब वर्तमान सरकार ने पुनः 5 वर्ष का एक्सटेंशन दिया था. जिसकी मियाद भी मार्च 2022 को पूरी हो चुकी थी.
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डैम की क्षमता 185 मीटर रखी जाएगी
अब पांच वर्ष का एक्सटेंशन मिलने से पुनर्वास नीति 2027 तक प्रभावी हो गई है. उन्होंने बताया कि हमें मार्च 2023 तक चांडिल डैम का जलस्तर 185 मीटर रखकर वहां लगे हाईड्रल पावर प्लांट को चालू कर बिजली उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य मिला है. इसके लिए चांडिल डैम से प्रभावित 84 गांव को पूरी तरह से खाली कराकर उन्हें पुनर्वासित करना है. तभी डैम की क्षमता 185 मीटर रखी जा सकेगी. उन्होंने यह भी बताया कि परियोजना की राशि भी बढकर 13 हजार 106 करोड़ रुपए हो गई है. साथ ही परियोजना को मार्च 2026 तक का विस्तार मिला है. ऐसे में अब परियोजना के कार्य सम्पन्न करने की बाधा समाप्त हो गई है.
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