Ranchi: गुमला की रहने वाली 16 वर्षीय महिला सोरेन को रांची के एक निजी अस्पताल में नई जिंदरी मिली है. मेक्सिलोफेसिअल सर्जन डॉक्टर अनुज कुमार और उनकी टीम ने बच्ची को नयी जिंदगी दी है. महिमा एक वर्ष की उम्र से ही मुंह खोलने में बिलकुल असमर्थ थी. अब तक सिर्फ लिक्विड डायट पर ही रह रही थी. पीड़ित बच्ची महिमा सोरेन के परिजनों ने अस्पतालों के चक्कर काटे लेकिन सर्जरी की जटिलता को देख कर डॉक्टरों ने इनकार कर दिया. परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उन्होंने बहुत ही कम फीस पर बच्ची का इलाज किया.
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फाइबर ऑप्टिक की मदद से मरीज को किया गया बेहोश
परिजनों ने अंत में मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉक्टर अनुज कुमार से सम्पर्क किया जिन्होंने सर्जरी की सलाह दी. ऐसी परिस्थितियों में जहां मरीज़ मुंह नहीं खोल पाते, एनेस्थीसिया देना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन अस्पताल के चीफ अनेस्थेटिस्ट डॉ ओपी श्रीवास्तव ने फाइबर ऑप्टिक की मदद से मरीज को बेहोश किया.
तीन घंटे चला ऑपरेशन
डॉक्टर अनुज ने बताया की मरीज का जबड़ा और खोपड़ी की हड्डी पूरी तरह से जुड़ी हुई थी जिसके कारण मुंह खुलना पूरी तरह बंद हो गया था. करीब तीन घंटे की जटिल सर्जरी कर के डॉ अनुज ने दोनों हड्डियों को अलग किया. सर्जरी के बाद मरीज ने बताया अब वो पूरी तरह मुंह खोल पा रही है और ठोस पदार्थ भी खा पा रही है.
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लगातार लाइव ने स्वास्थ्य मंत्री से की अपील
लगातार लाइव ने इस खबर के माध्यम से राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से अपील भी की है कि ऐसे गरीब और दूर-दराज में रहने वाले मरीजों को सहायता राशि दी जाए ताकि वह इलाज करवा सकें और और अपना जीवन यापन कर सकें.
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