Ranchi: रिम्स कई मरीजों के लिए अब तक वरदान साबित होता रहा है. यहां के डॉक्टरों की मेहनत ने कई मरीजों में वापस से जान फूंकने का काम किया है. जरमुंडी दुमका का रहने वाला 12 साल का पीयुष करीब दिसंबर महीने की शुरुआत में तेज बुखार के साथ रिम्स के पीडियाट्रिक विभाग में भर्ती हुआ था. स्थिति बिगड़ी तो जांच में पता चला कि बच्चा जेपनिज इंसेफलाइटिस जापानी बुखार से पीड़ित है. स्थिति बिगड़ी तो रिम्स के ट्रामा सेंटर में रेफर कर दिया गया. इलाज करने वाले डॉक्टरों में एक डॉ जयप्रकाश ने बताया कि पीयुष को करीब एक महीने तक वेंटिलेटर में रखकर इलाज किया गया. सांस लेने में तकलीफ होती रही तो टेक्सटोमी के माध्यम से करीब 20 दिनों तक सांस लेने की प्रक्रिया में मदद दी गयी. करीब 55 दिनों तक रिम्स में जिंदगी की जंग जीतने के बाद पीयुष की सोमवार को छुट्टी कर दी गयी. डॉ जयप्रकाश ने बताया कि ऐसे मामलों को ठीक कर सबसे अधिक खुशी मिलती है. हम चाहते हैं कि अधिक से अधिक मरीजों की जान बचा सकें.
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40 दिनों के बाद बच्चे की मांसपेशियों में दिखी हरकत
डॉ जयप्रकाश ने बताया कि इलाज की प्रक्रिया शुरू होने के बाद करीब 40 दिनों के बाद पीयुष की मांसपेशियों में हरकत दिखनी शुरू हुई. उसके मांसपेशियों में पावर आने लगा. जिसके बाद वो अपने परिजनों की बातों को समझने लगा. जिसके बाद तेजी से सुधार होता गया. मंगलवार को डॉक्टरों ने छुट्टी तो दे दी है पर लगातार संपर्क में रहने को कहा गया है.
इन डॉक्टरों ने किया इलाज
इलाज करने वाले डॉक्टरों ने बताया कि जब मरीज भर्ती हुआ तब स्थिति काफी बिगड़ी हुई थी. हमने काफी प्रयास कर पूरा ताकत झोंका ताकि बच्चे को ठीक किया जा सके. बच्चे को ठीक होता देख सभी डॉक्टर्स काफी खुश हैं. बता दें कि इलाज डॉ पीके भट्टाचार्य की देखरेख में शुरू हुई. इस टीम में डॉ सैफ, डॉ जयप्रकाश, डॉ लालचंद टुडू, डॉ बोनी फेस, डॉ वरूण राम, डॉ सुदिप्तो, डॉ अभिषेक, डॉ प्रियेश, डॉ अमित और डॉ डुमिनी सहित अन्य शामिल थे.
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