- बोले रघुवर- ठगे जा रहे झारखंडी
- नयी नियुक्ति नियमावली पर उठाया सवाल
Ranchi : राज्य सरकार द्वारा लायी नयी नियुक्ति नियमावली को भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने फर्जी और झारखंडी युवक-युवतियों को ठगने वाला बताया हैं. उन्होंने कहा है कि जेएमएम-कांग्रेस सरकार में पहले तो ट्रांसफर-पोस्टिंग ही उद्योग बना था, अब नियुक्तियों को भी इसी श्रेणी में लाया जा रहा है. 2016 में भाजपा सरकार के समय बने स्थानीय नीति में प्रावधान था कि जिस छात्र-छात्राओं ने पहली से 10वीं तक की शिक्षा झारखंड से की हैं, या जिनका जन्म झारखंड में हुआ हो, वे स्थानीय माने जाएंगे. उसे हाईकोर्ट ने भी सही माना था.
लेकिन हेमंत सरकार ने इस प्रावधान की जगह मैट्रिक और इंटर की परीक्षा को आधार बना दिया है. यानी देश के किसी भी राज्य का कोई भी बच्चा अगर झारखंड से मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षा देता हैं, तो वह झारखंडी कहलाएगा. ऐसा कर हेमंत सरकार ने उन लोगों को फायदा पहुंचाने का काम किया है, जिनका राज्य में जन्म ही नहीं हुआ.
भाषागत संरचना को नुकसान पहुंचाने की साजिश है नयी नियुक्ति नियमावली
रघुवर दास ने कहा कि नयी नियोजन नीति पूरी तरह से असंवैधानिक है. यह नीति भाषागत संरचना को नुकसान पहुंचाने की साजिश का एक हिस्सा है. ऐसा कर हेमंत सरकार ने झारखंड के संपूर्ण बेरोजगार युवक-युवतियों, आदिवासी-मूलवासी को धोखा दिया हैं. ऐसी नीति में सभी भाषाओं को तो स्थान दिया गया, पर राष्ट्रभाषा हिंदी को जगह नहीं दी गई. उड़िया और बंगाली को शामिल करने को बीजेपी स्वागत करती है.
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लेकिन राष्ट्रभाषा हिंदी को ही परीक्षा प्रक्रिया से बाहर कर दिया.यह स्थिति किसी भी हाल में बर्दाशत नहीं की जाएगी. हिंदी को हटाने का हश्र यह होगा कि अब झारखंड के बेरोजगार युवक अब हिंदी को कम प्राथमिकता देंगे. इससे वे बैंक, रेलवे, एलआईसी जैसी नौकरी से भी वंचित हो जाएगें.
रोजगार देना सरकार की प्राथमिकता नहीं
रघुवर दास ने कहा कि नयी नियुक्ति नियमावली लाकर सीएम चाहते हैं कि नियमावली कानून की अड़चन में नियुक्ति प्रक्रिया फंसी रहे और बहाली नहीं हो पाये. यदि नियुक्ति हो भी, तो इससे सरकार में एक व्यापार का रास्ता खुल सके. रघुवर दास ने कहा कि उनकी सरकार में राज्य के 1 लाख युवक-युवतियों को नियुक्ति मिली. इसमें से 90 प्रतिशत लोग झारखंडी थे.लेकिन हेमंत सरकार की नयी नियमावली से सीधा फायदा झारखंड के बाहर के लोगों को मिलेगा. इसका सीधा असर राज्य के आदिवासी-मूलवासी लोगों पर पड़ेगा.
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