Bhubaneswar : ओडिशा में एक आईएफएस अधिकारी की पत्नी के साथ सामूहिक बलात्कार के सनसनीखेज मामले के मुख्य आरोपी को महाराष्ट्र में पकड़ लिया गया है. इस मामले के कारण ओडिशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री जेबी पटनायक को 1999 में इस्तीफा देना पड़ा था.
भुवनेश्वर-कटक के पुलिस आयुक्त एस. सारंगी ने सोमवार को बताया कि विवेकानंद बिस्वाल उर्फ बिबन को महाराष्ट्र के लोनावला में एंबी वैली से गिफ्तार किया गया. उन्होंने बताया कि बिबन वहां जालंधर स्वैन की फर्जी पहचान के साथ प्लंबर का काम कर रहा था. अधिकारी ने बताया कि बिबन को पकड़ने के लिए तीन महीने पहले ‘ऑपरेशन साइलेंट वाइपर’ शुरू किया गया था.
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इस मामले में तीन लोग आरोपी हैं
दुष्कर्म की घटना के 17 दिनों बाद मामले के दो आरोपी प्रदीप साहू और धीरेंद्र मोहंती गिरफ्तार कर लिये गये थे. लेकिन मुख्य आरोपी बिबन दो दशकों तक फरार रहा. मामले के एक दोषी प्रदीप साहू उर्फ पाडिया की फरवरी 2020 में भुवनेश्वर के कैपिटल हॉस्पिटल में इलाज के दौरान मौत हो गयी थी. पाड़िया को इस मामले में सबसे पहले 15 जनवरी, 1999 को गिरफ्तार किया गया था. खुर्दा जिला सत्र न्यायाधीश ने 2002 में साहू एवं धीरेंद्र मोहंती को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा दी थी. हाईकोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखा था.
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कटक से भुवनेश्वर जा रही थी पीड़िता
पुलिस की चार्जशीट के अनुसार इन तीनों लोगों ने 1999 में नौ-10 जनवरी की रात बारंगा के निकट महिला की कार रोक ली थी. इसके बाद उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया था. आईएफएस अधिकारी पति से अलग रह रही यह महिला उस समय 29 वर्ष की थी. घटना के समय वह अपने एक पत्रकार मित्र के साथ कार से कटक से भुवनेश्वर जा रही थी. इस मामले की जांच सीबीआई को दी गयी थी.
घटना ने राजनीतिक हंगामा खड़ा हो गया
इस मामले ने तब राजनीतिक हंगामा खड़ा कर दिया था, जब पीड़िता ने मुख्यमंत्री जेबी पटनायक और पूर्व महाधिवक्ता इंद्रजीत रे की घटना में भूमिका होने का आरोप लगाया था. हालांकि ये आरोप एफआईआर का हिस्सा नहीं है. इस घटना के बाद राज्य भर में लोगों के भारी गुस्से के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
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3 माह पहले भुवनेश्वर पुलिस ने मामले को खोला था
1999 में ओडिशा उच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआई ने इस घटना की जांच का जिम्मा संभाला था. तब मामले में कोई सुराग नहीं लगा था. तीन महीने पहले भुवनेश्वर पुलिस आयुक्त कार्यालय ने इस मामले को फिर से खोल दिया. पुलिस कमिश्नर सुधांशु सारंगी ने बताया कि वे चौडवार जेल में इस मामले के एक दोषी से मिले थे. मामले का मुख्य आरोपी फरार था, इसलिए हमने मामले की फिर से जांच शुरू की थी. दोषी ने बताया था कि बिस्वाल (बीबन) को बीके कहा जाता था. फिर हमें गुप्त सूचना मिली कि आरोपी महाराष्ट्र में है.’
पहचान छुपा कर रह रहा था आरोपी बीबन
उन्होंने कहा, ‘आरोपी ने आधार कार्ड बनवाने और महाराष्ट्र में एक बैंक खाता खोलने में भी कामयाबी हासिल कर ली थी. वह अपने परिवार के संपर्क में था. उन्होंने उसके खिलाफ मामला स्थायी रूप से बंद करने के लिए उसका मृत्यु प्रमाण पत्र हासिल करने का भी प्रयास किया था. सूत्रों ने बताया कि पुलिस अब बिबन को सीबीआई को सौंपेगी, जो उसे आधिकारिक रूप से गिरफ्तार करेगी.
पीड़िता ने मुख्य आरोपी को मृत्युदंड देने की मांग की है
घटना से दो साल पहले 12 जुलाई, 1997 को पीड़िता ने तत्कालीन एडवोकेट जनरल इंद्रजीत रे पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था. उन्होंने रे के खिलाफ 19 जुलाई, 1997 को कटक के कैंटोमेंट थाने में दुष्कर्म के प्रयास के आरोप में मामला दर्ज कराया था. पीडिता ने तत्कालीन मुख्यमंत्री जेबी पटनायक पर रे को बचाने का आरोप लगाया था. 1998 में सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ चार्जशीट दायर करने के बाद रे ने एडवोकेट जनरल पद से इस्तीफा दे दिया था.
पीड़िता ने आरोप लगाया था कि उन्हें डराकर रे के खिलाफ आरोप वापस लेने पर मजबूर करने के लिए सोची-समझी साजिश के तहत उनका सामूहिक बलात्कार किया गया था. सीबीआई अदालत ने फरवरी 2000 में दुष्कर्म के प्रयास में दोषी ठहराते हुए इंद्रजीत रे को तीन साल की कठोर कैद की सजा सुनायी थी.