Ranchi: मुस्लिम समाज में भी शादियों में हो रही फिजूलखर्ची, डीजे, गाजे-बाजे, बड़ी पार्टियों और दहेज के चलन से प्रबुद्ध तबका चिंतित है. लगातार में 14 अप्रैल को ‘शादी में फिजूलखर्ची, डीजे और दहेज लेन-देन हुआ तो निकाह नहीं पढ़ाएंगे झारखंड के काजी और आलिम’ शीर्षक से खबर प्रसारित की थी. जिसमें बताया गया था कि एदारा-ए-शरीया, इमारत शरीया, ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड और दारुस्सलाम आदि प्रमुख धार्मिक संगठनों ने शरीयत के अनुसार, शादी-ब्याह के आयोजन पर जोर दिया है. इसके साथ ही कई आलिमों ने सख्त लहजे में कहा है कि निकाह में यदि फिजूलखर्ची, डीजे और दहेज लेन-देन हुआ तो सूबे के उल्मा ऐसे किसी भी आयोजन में शिरकत नहीं करेंगे. इस खबर का असर यह हुआ कि इस नेक पहल को विभिन्न मुस्लिम संगठनों का भी साथ मिला है. झारखंड युवा मंच, ऑल मुस्लिम युथ एसोशिएसन (आमया), मरहबा ह्यूमन सुसायटी, अल-रहमत फाउंडेशन और आरसीएफसी आदि सामाजिक संगठनों ने निर्णय लिया है कि वे सादगी भरी दहेज मुक्त शादी के लिए अभियान चलाएंगे. ईद बाद इनकी मुहिम धरातल पर उतरेगी. इस खबर में जानिए किसने क्या कहा:
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शादी में दिखावे के चलन को रोकना होगा: एस अली
ऑल मुस्लिम यूथ एसोशिएसन के केंद्रीय अध्यक्ष एस अली ने कहा कि सामाजिक और धार्मिक आयोजनों में आजकल दिखावे के प्रदर्शन का जोर है. इसे रोकना जरूरी है. उनका संगठन जल्द ही ऐसी शादियों के विरुद्ध अभियान चलाएगा, जिसमें पैसे का प्रदर्शन हो. दहेज के कारण कई बहन-बेटियों की शादी में मुश्किल होती है.
सभी को साथ लेकर चलेगी मुहिम: इमरान रजा
झारखंड युवा मंच के प्रमुख इमरान रजा अंसारी ने कहा कि ऐसी मुहिम ईमानदारी से चलाए जाने की ज़रूरत है. उनकी संस्था आलिम, पंचायत और दूसरे संगठनों के साथ मिलकर वार्ड स्तर पर ऐसी मुहिम चलाएगी. मस्जिद के इमाम और पंचायतों के ओहदेदारों से इसमें मदद ली जाएगी, जभी मुहिम कामयाब होगी.
नासूर बन चुकी है दहेज जैसी लानत: निहाल अहमद
मरहबा ह्यूमन सुसायटी के महासचिव निहाल अहमद ने कहा कि बकौल इस्लाम दहेज एक लानत है, जिसने समाज में आज एक नासूर की शक्ल अख्तियार कर ली है. इसका समूल नाश जरूरी है. ऐसी शादियों के खिलाफ मुहिम बेहद जरूरी है. उनकी सोसायटी उल्मा का शुक्रिया अदा करते हुए इस अभियान को आगे बढ़ाने का वादा करती है.
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लड़की के पक्ष से खर्च करवाना सरासर गलत: नदीम
अल-रहमत फाउंडेशन के नदीम अख्तर ने कहा कि समाज में आर्थिक गैर-बराबरी को पाटने की जरूरत है. शादी खुशी का मौका होता है, लेकिन लड़की के पक्ष से खर्च करवाना सरासर गलत है और गैर-इस्लामी भी. हमारी संस्था बिल्कुल ईद बाद जोर-शोर से दहेज मुक्त और फिजूलखर्ची मुक्त शादी के लिए मुहिम चलाएगी. इससे आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवार की बेटियों के विवाह में आसानी होगी.