‘शुभम संदेश’ ने मंगलवार को ही प्रमुखता के साथ ड्रेस घोटाला किया था प्रकाशित
पोशाक और बैनर पर लिखा था- पोशाक घोटाला, हजारीबाग शिक्षा विभाग शर्म करो
ड्रेस के नाम पर मची है लूट, सरकार मामले की उच्चस्तरीय जांच कराएं और दोषियों पर हो सख्त कारवाई : मनीष जायसवाल
Ranchi/Hazaribagh: हजारीबाग जिले में सरकारी स्कूलों में आपूर्ति की गई स्कूल ड्रेस को लेकर शिक्षा विभाग के कारनामे इन दिनों सुर्खियों में है. मंगलवार को प्रमुखता के साथ दैनिक अखबर ‘शुभम संदेश’ ने खबर प्रकाशित की थी. इसमें बताया गया था कि किस तरह से सरकारी स्कूल में गर्म कपड़ा देने के नाम पर लूट मची हुई है. करोड़ों रुपया का घोटाला कर दिया गया. मंगलवार को यह मामला तब गरमा गाय जब हजारीबाग सदर विधायक मनीष जायसवाल ने झारखंड विधानसभा के के बाहर धरने पर बैठ गए. उन्होंने अपने सामने एक डिस्प्ले भी लगा रखा था जिसमें बच्चों को आपूर्ति किए गए स्कूल ड्रेस और घटिया क्वालिटी के ड्रेस संबंधित विभिन्न अखबारों में छपी खबरों की प्रति चिपका रखा था. साथ ही बड़े अक्षरों पर लिखा था “पोशाक घोटाला शिक्षा विभाग हजारीबाग शर्म करो.” विधायक मनीष जायसवाल ना सिर्फ इस मामले को लेकर सदन के बाहर धरने पर बैठे बल्कि उन्होंने अल्प सूचित प्रश्न कल के दौरान भी इस मामले को पुरजोर तरीके से सदन पटल पर रखा.
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मनीष जायसवाल ने सदन पटल पर रखा मामला
हजारीबाग विधायक मनीष जायसवाल ने इस संबंध में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के मंत्री से पूछा कि सरकार के निर्देश के बावजूद हजारीबाग सहित पूरे राज्य में लगभग 17 लाख सरकारी स्कूलों के बच्चों को पोशाक वितरण नहीं किया गया जबकि झारखंड शिक्षा परियोजना निदेशालय द्वारा राज्य के सभी स्कूलों में जुलाई 2023 में ही पोशाक मद की राशि उपलब्ध करा दी गई थी. विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि हजारीबाग को पोशाक वितरण हेतु 12 करोड रुपए राशि का आवंटन किया. परंतु उक्त जिले के संबंधित पदाधिकारी ने 1.72 लाख़ उक्त बच्चों की पोशाक की राशि खाते में न देकर मनमानी तरीके से लोहरदगा के प्रगति महिला उत्पादक समूह एवं हजारीबाग के चरही-चुरचू में संचालित मार्शल प्राथमिक बुनकर सहयोग समिति को पोशाक बनाने का जिम्मा दे दिया. विधायक का कहना है कि बिना निविदा, विज्ञापन के आपूर्ति आदेश दे दिया गया, जो जांच का विषय है. सरकार द्वारा वर्णित राशि को कक्षा एक एवं कक्षा दो के बच्चों को छोड़कर सभी बच्चों को उक्त राशि का भुगतान खाते में करने का आदेश दिया गया है.
सदन में प्रभारी मंत्री ने दिया जवाब
विधायक ने आरोप लगाया कि संबंधित पदाधिकारी द्वारा नियम का उल्लंघन किया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार हजारीबाग सहित राज्य के अन्य जिलों के बच्चों को पोशाक की राशि उनके खाते में देने पर विचार रखती है या नहीं. विधायक मनीष जायसवाल के इस प्रश्न के जवाब में संबंधित विभाग के प्रभारी मंत्री द्वारा बताया गया कि समग्र शिक्षा के समग्र कक्षा 1 से 8 के कुल 34,93,402 के विरुद्ध 28,56,617 सरकारी विद्यालयों के बच्चों को पोशाक उपलब्ध कराया जा चुका है. शेष 6,36,785 बच्चों को पोशाक उपलब्ध कराने की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है जिसे मार्च 2024 तक पूर्ण कर लिया जाएगा. कक्षा तीन से आठ के लिए पोशाक की उपलब्धता तीन माध्यमों से की जाती है. स्वयं सहायता समूह, सखी मंगल और डीबीटी के माध्यम शामिल हैं. जिला शिक्षा अधीक्षक हजारीबाग से प्राप्त प्रतिवेदन के अनुसार जिला स्तरीय समिति द्वारा उक्त संकल्प के अंकित प्रावधान के अनुरूप स्वयं सहायता समूह के माध्यम से जिले के सरकारी विद्यालयों की कक्षा एक से आठ तक के विद्यार्थियों को पोशाक स्वेटर एवं जूता-मौजा उपलब्ध कराया गया है. स्वयं सहायता समूह के माध्यम से पोशाक लिया जाना सरकार के संकल्प के अनुरूप है. परंतु शिकायत के आलोक में स्वयं सहायता समूह के माध्यम से जिले में पोशाक में किसी तरह की विसंगति, अनियमितता के संदर्भ में जांच कराई जा रही है. किसी तरह की विसंगति, अनियमित पाए जाने पर संबंधित के विरुद्ध यथोचित कार्रवाई की जाएगी.
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खराब क्वालिटी, शिक्षा विभाग में लूट : मनीष जायसवाल
उक्त मामले को लेकर सदन के बाहर मीडिया से बातचीत करते हुए विधायक मनीष जायसवाल ने अपने हाथ में शिक्षा विभाग द्वारा आपूर्ति किए गए पोशाक दिखाते हुए कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार में खराब क्वालिटी के कपड़े देकर बड़े पैमाने पर शिक्षा विभाग में लूट मचा रखा है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार चाहती तो छात्रों के खाते में डीबीटी के माध्यम से सीधे पैसे भेज सकती थी लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और पोशाक घोटाला हो गया. विधायक मनीष जायसवाल ने हजारीबाग सहित राज्य के अन्य जिलों में आपूर्ति किए गए स्कूल ड्रेस में हुई अनियमितता और लूट की उच्चस्तरीय जांच करने एवं दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग सरकार से की.