Mumbai : फ्यूचर ग्रुप-रिलायंस रिटेल डील (Future Group-Reliance deal) को रोकने की Amazon की सारी कोशिशें बेकार हो गयी हैं. उद्योगपति किशोर बियाणी (Kishore Biyani) के स्वामित्व वाले फ्यूचर ग्रुप (Future Group) औऱ मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की स्वामित्व वाली रिलायंस रिटेल (Reliance Retail) के बीच हुई डील को कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (Competition Commission of India- CCI) से हरी झंडी मिल गयी है. CCI ने रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (RRVL) द्वारा फ्यूचर ग्रुप के खुदरा, होलसेल, रिटेल और लाइफस्टाइल कारोबार के अधिग्रहण को मंजूरी दे दी है.
इसे भी पढ़ें-मशहूर कॉमेडियन भारती के यहां NCB की रेड, घर से गांजा बरामद
CCI ने ट्वीट कर दी जानकारी
CCI ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि कमीशन ने RRVL द्वारा फ्यूचर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (Future Enterprises Limited- FEL) के अधिग्रहण को मंजूरी दे दी है. बता दें कि रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) की सहयोगी कंपनी RRVL ने 29 अगस्त को फ्यूचर ग्रुप के रिटेल कारोबार का 24,713 करोड़ रुपये में अधिग्रहण करने की घोषणा की थी. इस डील के तहत फ्यूचर ग्रुप (FEL) अपना पूरा रिटेल, होलसेल, लाइफस्टाइल, वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स कारोबार को रिलायंस रिटेल को ट्रांसफर करेगी. इस डील के तहत रिलायंस रिटेल एंड फैशन लाइफस्टाइल लिमिटेड (RRFLL) 1200 करोड़ रुपये में FEL की 6.09% हिस्सेदारी खरीदेगी जो उसे मर्जर के बाद प्राप्त होगा.
इसे भी पढ़ें-नगरोटा एनकाउंटर : पाक से संपर्क में थे आतंकी, पाकिस्तानी उच्चायुक्त तलब
सिंगापुर आर्बिट्रेशन कोर्ट ने लगाया था Stay
फ्यूचर रिटेल केस (Future Retail suit) में सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने 20 नवंबर सभी संबंधित पक्षों को सोमवार को लिखित में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. आपको बता दें कि फ्यूचर ग्रुप की रिलांयस रिटेल (Reliance Retail) के साथ हुई डील के खिलाफ एमेजॉन सिंगापुर आर्बिट्रेशन कोर्ट चली गई. सिंगापुर आर्बिट्रेशन कोर्ट ने एमेजॉन के पक्ष में फैसला सुनाया है और फ्यूचर ग्रुप-रिलायंस डील को रोकने का आदेश दिया, जिसके बाद इस डील पर stay लग गया.
इसे भी पढ़ें-33 ट्रेनी IAS के पॉजिटिव होने के बाद मसूरी की LBS प्रशासनिक अकादमी सील
दिल्ली हाईकोर्ट में है मामला
इसके खिलाफ फ्यूचर ग्रुप ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कैविएट पिटीशन दाखिल किया, जिस पर अभी सुनवाई चल रही है. एमेजॉन ने इस डील के खिलाफ सेबी (SEBI) को भी लेटर लिखा था. सिंगापुर आर्बिट्रेशन कोर्ट फैसला सीधे तौर पर भारत में लागू नहीं होता. उसे लागू कराने के लिए भारत के किसी हाईकोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट का आदेश जरूरी है.
इसे भी पढ़ें- भारी बारिश ने बर्बाद की आलू की फसल, तबाही झेल रहे सैकड़ों किसान