Saurav Singh
Ranchi : राज्य में घटित बड़ी घटनाएं और भ्रष्टाचार के मामले के सामने आते ही तुरंत बाद सरकारें तेजी दिखाती हैं. लेकिन कुछ समय बीतने के बाद पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है. कई ऐसे मामले है जिसकी जांच टीम बेफिक्री की चादर ओढ़कर सो गयी है. इस तरह के कई उदाहरण राज्य में मौजूद है. हाल के महीनों में राज्य सरकार ने कई बड़े मामले को लेकर जांच कमेटी का गठन किया था, लेकिन जांच कमेटी सही समय पर जांच को पूरी नहीं कर पायी है.
इसे भी पढ़ें – धरना दे रही सहियाओं ने कहा – आंगनबाड़ी सेविकाओं से ज्यादा काम करते हैं, बढ़ाया जाए मानदेय
देवघर रोपवे हादसा, 6 महीने बाद भी नहीं आयी जांच रिपोर्ट
देवघर के त्रिकूट पर्वत पर बीते 10 अप्रैल 2022 की शाम लगभग 6 बजे रोपवे का एक तार टूट गया था. जिसकी वजह से तीन लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 18 से ज्यादा लोग जख्मी हो गये थे. रोपवे की 24 में से 23 ट्रॉलियों पर सवार कुल 78 लोग पहाड़ी और खाई के बीच हवा में फंस गये थे. इनमें से 28 लोगों को उसी दिन सुरक्षित निकाल लिया गया था. जबकि 48 लोग 36 से लेकर 45 घंटे तक बगैर कुछ खाये-पीये पहाड़ी और खाई के बीच हवा में लटके हुए थे. वायुसेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी और आर्मी के लगातार 45 घंटे के जोखिम भरे ऑपरेशन के बाद हवा में लटके इन 48 में से 46 लोगों को बचा लिया गया था, जबकि रेस्क्यू के दौरान दो लोगों की मौत हो गई थी. जिसके बाद हादसे की जांच के लिए सरकार ने हाईलेवल कमेटी बनायी थी. जिस कमेटी को दो महीने में जांच पूरी कर सरकार को रिपोर्ट सौंपनी थी, उसने करीब छह माह बाद भी यह टास्क पूरा नहीं किया है.
इसे भी पढ़ें – धनबाद: 24 युवकों को काम से हटाने के विरोध में एमपीएल का हाईवा रोका
अधर में लटक गई है रांची हिंसा की जांच
भाजपा से निलंबित नेत्री नुपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी के बाद 10 जून 2022 को रांची में भड़की उपद्रव व हिंसा मामले की उच्च स्तरीय जांच पूरी तरह ठप्प पड़ी हुई है. उत्पाद विभाग के सचिव अमिताभ कौशल व एडीजी अभियान संजय आनंदराव लाठकर की दो सदस्यीय टीम को उच्च स्तरीय जांच की जिम्मेदारी मिली थी. टीम को जांच में लंबा वक्त लगा. राज्य सरकार ने जो समय निर्धारित किया था, उस निर्धारित समय में जांच पूरी नहीं हो सकी. जिसके बाद जांच टीम ने राज्य सरकार से दो महीने का वक्ता मांगा था. वक्त मांगे हुए दो महीने हो गए, लेकिन जांच समिति को सरकार से अवधि विस्तार नहीं मिला. इसका नतीजा यह है कि जांच पूरी तरह लंबित है. जब तक सरकार का आदेश नहीं होता, जांच शुरू नहीं हो पायेगी.
इसे भी पढ़ें – डॉक्टर इरफान हमला मामला : मुख्य आरोपी समेत दो अपराधी गिरफ्तार, पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी जानकारी
विधानसभा और हाईकोर्ट के भवन निर्माण में गड़बड़ियों की जांच
झारखंड हेमंत सोरेन की सरकार ने बीते 17 मई 2022 को विधानसभा और हाईकोर्ट भवन निर्माण में अनियमितता मामले में जांच न्यायिक आयोग से कराने का फैसला किया था. इसके पहले बीते जुलाई 2021 में सीएम हेमंत सोरेन के आदेश पर इन दोनों भवनों के निर्माण में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो को सौंपी गयी थी. अब इन्हीं मामलों की जांच न्यायिक कमीशन से कराने का निर्णय लिया गया है. झारखंड विधानसभा के भवन का निर्माण 465 करोड़ की लागत से किया गया है. जबकि झारखंड हाईकोर्ट के भवन परिसर का निर्माण जारी है और इसकी लागत 697 करोड़ रुपये निर्धारित है. इन दोनों भवनों के निर्माण के लिए शुरूआत में जो एस्टीमेट तय किया गया था. उसमें बाद भारी वृद्धि कर दी गयी. आरोप है कि बगैर आवश्यक मंजूरी के एस्टीमेट बढ़ाकर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गयी है. एस्टीमेट बढ़ाये जाने से लेकर निर्माण में गड़बड़ियों को लेकर कई सवाल उठते रहे हैं. हालांकि अब तक इसकी जांच पूरी नहीं हो पायी है.
इसे भी पढ़ें – पलामू : 21 दिनों से नहीं मिल रहा स्कूल में मध्याह्न भोजन, बच्चे नहीं आ रहे स्कूल