Ranchi : झारखंड के बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने के वायदों के साथ हेमंत सोरेन सत्ता में आयी थी. 2020 के शुरूआत से ही राज्य सरकार नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करना चाह रही थी. लेकिन कोरोना की पहली और दूसरी लहर ने सरकार के प्रयास को आगे बढ़ने नहीं दिया. अब जब स्थिती थोड़ी सामान्य हुई है तो मुख्यमंत्री भी अपने वादे को निभाने का काम शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में गुरूवार को हेमंत कैबिनेट में एक बड़ा फैसला झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) द्वारा ली जाने वाली परीक्षाओं को लेकर हुआ है.
अब ऐसी परीक्षाओं में मेन्स और इंटरव्यू के प्रावधानों को समाप्त कर दिया गया है. अब यह प्रक्रिया केवल एक चरण में होगी. सरकार की इस ऐतिहासिक फैसले का उद्देश्य यह है कि विज्ञापन निकलने के बाद नियुक्ति प्रक्रिया जल्दी पूरी हो. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सोच है कि पहले के वर्षों में किसी एक परीक्षा की पूरी प्रक्रिया जो लंबे समय तक चलती थी, वह नहीं चले.
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उद्देश्य बेरोजगार शिक्षित युवाओं को जल्द मिले नौकरी
बता दें कि जेएसएससी द्वारा वर्तमान में जिस नियमावली के तहत परीक्षा ली जाती है, वह काफी लंबी होती है. पहले पीटी और फिर मेंस और किसी-किसी परीक्षा में इंटरव्यू लेने का प्रावधान है. लेकिन अब नियमावली में पीटी की परीक्षा के बाद ही नियुक्ति प्रकिया को पूरा करने का प्रावधान किया गया है. कैबिनेट के एक अधिकारी का कहना है कि इसके पीछे उद्देश्य साफ है कि झारखंड के बेरोजगार शिक्षित युवाओं को जल्द से जल्द सरकारी नौकरी मिल सके.
क्योंकि जेएसएससी द्वारा ली जानेवाली प्रतियोगी परीक्षाओं में फॉर्म भरने वालों की संख्या 2 लाख तो अमूमन होती ही है. इसके अलावा नियुक्ति प्रक्रिया को पूरा करने में भी लंबी अवधि तय करनी पड़ती है. वैसे भी झारखंड के लाखों बच्चों की उम्र सीमा तो समाप्त हो ही जाती है. साथ ही लाखों के आवेदन करने के कारण एक ही परीक्षा से परीक्षाफल का प्रकाशन को गुणवत्तापूर्ण नहीं माना जाता है.
जेएसएससी की अधिकांश परीक्षाएं रही हैं विवादित
यह सर्वविदित हैं कि जेएसएससी द्वारा अभी तक ली जाने वाली परीक्षाएं विवादित ही रही हैं. 2016 में संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षाएं अभी तक नहीं ली जा सकी है. इसी तरह पंचायत सचिव अभ्यर्थी अपनी नियुक्ति प्रक्रिया को पूरा कराने के लिए पिछले 2 से अधिक सालों से आंदोलनरत हैं. शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया इतनी विवादित रही है कि सुप्रीम कोर्ट में अबतक मामला लंबित हैं.
इसके पीछे का कारण परीक्षा की लंबी अवधि भी रही है. लेकिन हेमंत कैबिनेट के इस फैसले से अब यह समस्या काफी हद तक खत्म हो जाएगी.
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